शहर में हो रहा है काम
शहर में हैंडलूम को लेकर विशेष तरह का काम हो रहा है। कारीगर मो. हामीद का कहना है कि लोगों को अब हैंडलूम आइटम्स ज्यादा पसंद आते हैं। बात चाहे साड़ी की हो या फिर ड्रेस मैटेरियल। खासतौर पर महिलाएं हैंडलूम से जुड़े परिधान पहनना पसंद करती हैं। शहर में चंदेरी के साथ कोसा और सिल्क को लेकर काम हो रहा है। शहर में कई उत्पाद बाहरी शहरों में भी जाते हैं, वहीं महेश्वर और दक्षिण भारत के कई शहरों से परिधान इम्पोर्ट किए जाते हैं।
लगते हैं मेले और प्रदर्शनी
लोगों की डिमांड के कारण ही शहर में अब हैंडलूम प्रदर्शनी और सेल का आयोजन साल में 8 से 10 बार हो जाता है। यहां महाराष्ट्र, मप्र, गुजरात, असम, कोलकाता आदि प्रदेशों के परिधानों की झलक भी नजर आती है। यही वजह है कि शहर में अब सिल्क, मलबरी, कोसा, बाद्य प्रिंट और चंदेरी के साथ दूसरे पैटर्न के परिधानों की प्रदर्शनी बढ़ चुकी है।
सिर्फ हथकरघा परिधान पसंद
गवर्नमेंट मानकुंवर कॉलेज की प्रो. डॉ. उषा कैली ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा हैंडलूम ड्रेसेज ही पसंद आते हैं। खासतौर पर चंदेरी, सिल्क और कोसा की साडिय़ा उन्हें हर फंक्शन में पहनना अच्छा लगता है। वे कहती हैं प्रोफेशनल लुक में यह परफेक्ट लुक देते हैं।
साड़ी के साथ सूट्स
सिटी लेडीज को जहां हैंडलूम की साड़ी सबसे ज्यादा पसंद आ रही है, वहीं ड्रेस मैटेरियल भी गल्र्स को लुभा रहे हैं। बनारस, चंदेरी और सिल्क पैटर्न में सलवार सूट सिटी गल्र्स की पर्सनैलिटी को निखारने का काम कर रहे हैं।
कम्फर्ट के साथ बेस्ट कलेक्शन
माता गुजरी कॉलेज की प्रो. मीता शाह का कहना है कि हैंडलूम आइटम्स इतने अट्रैक्टिव होते हैं कि टीचिंग लाइन से जुड़े होने के कारण यह एक नजर में पसंद आ जाते हैं। ऐसे में चंदेरी, कॉटन और सिल्क की साड़ीज पहनना पसंद करती हैं।