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यहां है जालसाजों का जाल, पैसे उड़ाने के लिए चौंका देने वाली करतूतें

locationजबलपुरPublished: Jul 27, 2019 01:09:11 am

Submitted by:

shyam bihari

कभी शादी कराने की योजना, तो कभी सस्ते में कार बेचने का झांसा देकर कर रहे हैं ठगी

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क्रिमिनल

जबलपुर। शहर में ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं। रोज मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। कभी लॉटरी लगने तो कभी गाड़ी बेचने के नाम पर ठगी की जा रही है। इन मामलों से लोग सकते में हैं। वहीं, साइबर सेल महज जांच तक सीमित है। बहुत कम ही मामलों की तफ्तीश पूरी हो पा रही है। हाल ही में आर्मी मैन बनकर ठगी करने वाले जालसाज को स्टेट साइबर सेल जबलपुर जोन की टीम ने जयपुर से दबोचा, तो उसके खुलासे चौंकाने वाले थे। आरोपी ने पूछताछ में अब तक 100 से अधिक लोगों को चपत लगाने की बात स्वीकार की है। 29 साल के आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।
स्टेट साइबर सेल जबलपुर एसपी अंकित शुक्ला ने बताया कि जून 2019 में अक्षय जैन ने शिकायत की थी कि ओएलएक्स पर कार एमपी 28 सीए 838 के विक्रय का विज्ञापन देकर दिए गए मोबाइल पर सम्पर्क साधा। उधर से स्वयं को आर्मी का जवान बता खुद का ट्रांसफर होने का हवाला देकर कार बेचने की बात की और रजिस्ट्रशेन, ट्रांसपोर्ट, डिलेवरी व अन्य नाम पर 1.42 लाख रुपए पेटीएम वॉलेट व गूगल पे के माध्यम से ऐंठ लिए गए। अप्रैल में संजय महरोत्रा ने रमेश नगाड़े की फेसबुक आइडी पर इसी तरह कार बिक्री का विज्ञापन देखा। प्रदर्शित मोबाइल पर सम्पर्क किया तो उसने बीएसएफ जवान बता इसी तरह 1.59 लाख में कार बेचने की बात कही और फिर पेटीएम वॉलेट व गूगल-पे से पैसे ऐंठ लिए। दोनों प्रकरणों में धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और 66 आइटी एक्ट का मामला दर्ज कर जांच में लिया गया था।
जयपुर से अलवर तक फैला नेटवर्क
गूगल-पे, पेटीएम वॉलेट से जानकारी प्राप्त कर निरीक्षक विपिन ताम्रकार, एसआई श्वेता सिंह, आरक्षक अजीत गौतम, आसिफ खान, आशीष पटेल व अमित गुप्ता की टीम को मामले की जांच में लगाया गया। टीम ने राजस्थान के जयपुर से सोडाला निवासी गजेंद्र सिंह चम्पावत (29) को गिरफ्तार किया। पूछताछ में गजेंद्र ने बताया कि वह अलवर के कुछ लोगों के साथ मिलकर ओएलएक्स, फेसबुक, क्वीकर पर रजिस्ट्रेशन कर आर्मी जवान बनकर सामान बेचने का झांसा देकर ठगी करते हैं।
ठगी के खास तरीके
सेना के प्रति लोगों के विश्वास को ठगी का हथियार बनाते हैं। सेकेंडहैंड गाडिय़ों को ट्रांसफर के नाम पर सस्ते में बेचने का विज्ञापन देकर झांसे में फंसाते हैं। आर्मी के जवानों के पहचान पत्र, मेस कार्ड आदि भेजते हैं। गाड़ी का रजिस्टे्रशन, लाइसेंस आदि असली होता है, जिससे ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर चेक करने पर सही दिखे। आर्मी एरिया होने का हवाला देते हुए गाड़ी का भौतिक सत्यापन नहीं कराते। इसके अलावा झांसे में फंसे व्यक्ति को आर्मी के ट्रांसपोर्ट विभाग का फर्जी दस्तावेज भेजते हैं। ट्रांसपोर्ट, रजिस्ट्रशेन और एडवांस के नाम पर रकम जमा करा लेते हैं।
यूआरएल भेजकर उड़ाते हैं पैसे
इस समय शहर में ऐसे गिरोह भी सक्रिय हैं, जो यूआरएल भेजकर लोगों को लॉटरी आदि जीतने का झांसा देते हैं। उसके बाद सामने वाले को बातों के जाल में फंसाकर उसके खाते से पैसे उड़ा देते हैं। साइबर सेल का कहना है कि लोगों को इस मामले में सचेत रहना पड़ेगा।

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