कारागार की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया
बंदी अपने लम्बित न्यायालयीन प्रकरणों की जानकारी खुद प्राप्त कर सके, इसके लिए लगाए गए पांच कियोस्क सिस्टम एवं कंट्रोल रूम का लोकार्पण करने के लिए गुरुवार को चीफ जस्टिस एके मित्तल केंद्रीय कारागार पहुंचे। कार्यक्रम के पहले उन्होंने कारागार की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जेल-ई-कोर्ट, पाकशाला, अस्पताल, एक्युप्रेशर ट्रैक, फांसी के तख्ते का अवलोकन किया। उन्होंने वहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्मारक का उद्घाटन भी किया। निरीक्षण के सम्बंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जेल में कहीं भी कोई कमी नजर नहीं आई। कारागार के भीतर साफ-सफाई भी बेहतर है।
कोर्ट में बेहतर काम हो रहा है
हाईकोर्ट में लम्बित मामलों का आंकड़ा बढऩे के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोर्ट का डाटा निकालें, तो पता चल जाएगा कि जज क्षमता से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण कर रहे हैं। कोर्ट में बेहतर काम हो रहा है। कारागार में क्षमता से अधिक बंदी होने के सवाल पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वर्तमान में जेल की क्षमता करीब साढ़े 24 सौ बंदियों की है। जबकि, अभी संख्या 2500 से थोड़ी अधिक है। लेकिन, बढ़ते अपराध और आबादी को देखते हुए कारागार की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। जेल प्रशासन को इस बारे में प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजना चाहिए।
प्रदेश के 128 जेलों में 216 कियोस्क सिस्टम स्थापित
प्रदेश की जेलों में बदियों को उनके विरूद्ध लम्बित न्यायालयीन प्रकरणों की जानकारी के लिए हाईकोर्ट द्वारा प्रदेश की सभी 128 जेलों में 1.56 करोड़ की लागत से 216 कियोस्क सिस्टम स्थापित किए गए हैं। सभी केंद्रीय जेलों में पांच-ांच, जिला जेलों में दो-दो और सब जेलों में एक-एक कियोस्क सिस्टम स्थापित किए गए हैं।
कंट्रोल रूम का भी लोकार्पण
चीफ जस्टिस ने 50 लाख की लागत से स्थापित नवनिर्मित कंट्रोल रूम का लोकार्पण किया। जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार ने बताया कि यहां से जेल की सुरक्षा का पर्यवेक्षण, सीसीटीवी और वायरलेस व इंटरकॉम के माध्यम से किया जाएगा। 127 वर्गमीटर में बने इस कंट्रोल रूम में प्रभारी सहित अन्य सुविधा युक्त व्यवस्थाएं हैं।