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जबलपुर

यहां जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं बच्चे, चौका देगी सच्चाई

नहीं हो रही कार्रवाई

जबलपुरJul 28, 2018 / 08:14 pm

deepankar roy

child going school at risk

child going school at risk

गोटेगांव/जबलपुर। गोटेगांव इलाके में ग्रामीण अंचल से प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को लाने और ले जाने का काम बिना परमिट के वाहनों से किया जा रहा है। ऐसे वाहन वाले बच्चों सामग्री की तरह ठूस-ठूस कर बैठा रहे हैं। गैस किट से चलने वाले वाहनों में भी बैठक क्षमता से दोगुने बच्चों को बैठाया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों से अनुबंध के साथ कम ही वाहन चलते हैं। ऑटो और वैन वाले जब वाहन के अंदर बच्चों के लिए जगह नहीं बचती है तो आगे की सीट पर तीन से चार बच्चों को बैठा लेते हैं। इतना ही नहीं चालक अपनी गोद तक में बच्चों को बैठा लेते हैं। यह नजारा शुक्रवार को ग्रामीण अंचल से बच्चों को लेकर आने वाले वाहनों में देखने मिला। इस संबंध में टीआइ आरके सोनी का कहना है कि ऐसे वाहन चालक जो नियमों की अनदेखी कर क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर वाहनों का संचालन कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।

वाहन चालकों के खिलाफ नहीं हो रही कार्रवाई
इसी तरह बरहटा इलाके के बच्चों को लेने आने वाला एक प्राइवेट स्कूल का वाहन बच्चों को ठूस-ठूस कर बैठाने के बाद करीब २० किलोमीटर दूर दादा महाराज के स्कूल जा रहा था। इस वाहन में एक-दूसरे से सटाकर बच्चों को भरा जाता है। जितने यात्री दो वाहन मे बैठते हंै उतने एक ही वाहन में बैठाकर लाने ले जाने का कार्य हर दिन किया जा रहा है और पुलिस ऐसे वाहन चालकों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रही है। पालकों की मजबूरी रहती है इसलिए वह ऐसे वाहन वालों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाते हैं। वाहन वालों का कहना है कि बच्चों को स्कूल छोडऩे पर उनके गाड़ी का भी खर्च नहीं निकल पाता है। इसलिए गैस किट का सहारा लेना पड़ रहा है।

सुुरक्षा की दृष्टि से नहीं रहती है कोई सुविधा
सरकारी स्कूलों का शिक्षा स्तर गिर जाने के कारण गांव का हर परिवार अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा प्रदान करवाना चाहता है। इसलिए गांव से आने वाले बच्चों को वाहन वाले मनमाफिक राशि वसूल करके उसमें अपने मुताबिक बच्चो को भर कर प्राइवेट स्कूलों मे लाते हैं। जबकि ऐसे वाहन वालो को किसी भी प्राइवेट संस्था के द्वारा स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। अपने-अपने इलाके के बच्चों को बिना परमिट वाले वाहन में ढोने का कार्य किया जाता है। इस वाहनों में सुरक्षा की दृष्टि से किसी प्रकार की सुविधा नहीं रहती है।


नहीं लिया कोई परमिट
पिछले साल इंदौर में स्कूल वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस कुछ समय के लिए सजग हुई थी और ऐसे वाहन वालों को परमिट के साथ वाहन चलाने की बात कही थी, लेकिन पुलिस की अनदेखी के कारण वाहन वालों ने किसी प्रकार का कोई परमिट नहीं लिया और इस साल फिर से अनफिट वाहनों में बच्चों को मनचाहे तरीके से भर कर स्कूल लाने- ले जाने का काम किया जा रहा है। लोगों को क्षमता से अधिक भरे वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है।
रिक्शा चालक तक अपने रिक्शे क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर स्कूल ले जाते हंै, जब रिक्शा में जगह नहीं बचती है तो बच्चों को रिक्शा के पीछे पटियां लगा कर बैठालने की व्यवस्था की जाती है। वाहन वाले हों या रिक्शा वाले सभी अधिक सवारियों को भर कर मोटी रकम कमाना चाहते हैं। ऐसे में जब कोई घटना होती है तो बड़े वाहन वाले को जिम्मेदार ठहराने की कवायद की जाती है।

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