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सरकारी अस्पतालों के एसएनसीयू में क्षमता से दोगुने बच्चे, इलाज-निगरानी में हो रही समस्या

locationजबलपुरPublished: Jan 18, 2020 11:53:10 am

Submitted by:

deepankar roy

गंभीर शिशुओं के उपचार के लिए संसाधनों की कमी

SNCU

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जबलपुर. सरकार की शिशु मृत्यु दर रोकने की कवायद के बीच सरकारी अस्पतालों में नवजातों के लिए स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) का विस्तार नहीं होने से कुछ नवजातों की उचित देखभाल और उपचार नहीं हो पा रहा है। शहर के दो सरकारी अस्पतालों (मेडिकल अस्पताल और एल्गिन हॉस्पिटल) में एसएनसीयू है। इनमें सरकारी और निजी अस्पतालों से गम्भीर हालत में रेफर किए गए नवजात भर्ती होते हैं। गम्भीर नवजातों की संख्या बढऩे से हालात इतने बिगड़ गए हैं कि एसएनसीयू में क्षमता से दोगुने बच्चे भर्ती करना पड़ रहा है। बढ़ी हुई संख्या के लिहाज से एसएनसीयू में संसाधनों की कमी से उपचार और निगरानी प्रभावित हो रही है।

लगातार बढ़ रही संख्या

मेडिकल और एल्गिन अस्पताल में गम्भीर हालत में भर्ती होने वाले शिशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें शहर, जिले के अलावा आसपास के अंचलों और जिलों से आने वाले गम्भीर प्रकरण भी शामिल हैं। एल्गिन अस्पताल में जिले के अलावा आसपास के जिलों से गम्भीर हालात में शिशु रेफर होकर आ रहे हैं। सम्भाग के अलावा शहडोल, उमरिया, पन्ना, सतना, सिंगरौली, दमोह से भी नवजात शिशु मेडिकल अस्पताल रेफर किए जा रहे हैं। एल्गिन अस्पताल में भी हालत ज्यादा बिगडऩे पर नवजात मेडिकल अस्पताल के लिए रेफर होते हैं।

एसएनसीयू में…

30 सीटें मेडिकल कॉलेज में

50 से 60 शिशु भर्ती रहते हैं

20 सीटें एल्गिन अस्पताल में

40 तक शिशु भर्ती रहते हैं

एक बिस्तर पर दो बच्चे

मेडिकल और एल्गिन अस्पतालों में एसएनसीयू में भर्ती होने वाले शिशुओं की संख्या दोगुनी हो गई है। एसएनसीयू के सेटअप में एक बच्चे के मानक से व्यवस्थाएं और संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन एक बिस्तर पर दो बच्चे होने से संसाधन सीमित हो गए हैं। एसएनसीयू में ट्रेंड स्टाफ के साथ सपोर्टिंग स्टाफ की तैनाती स्वीकृत सेटअप के अनुसार की जा रही है। दोगुने मरीज होने से शिशुओं की देखभाल प्रभावित हो रही है। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष मिश्रा के अनुसार एसएनसीयू के विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं।

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