जानकारी के अनुसार वर्ष१९७२ में बना बरेली स्कूल के भवन को जनपद शिक्षा केन्द्र के उपयंत्री भी इसे खतरनाक घोषित कर चुके हैं, लेकिन नया भवन नहीं होने पर शिक्षकों को मजबूरी में बच्चों की जान जोखिम में डालकर शाला संचालित करनी पड़ रही है।
प्रभारी प्राचार्य ओमप्रकाश नामदेव ने बताया कि दो कमरों का स्कूल पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कक्षा पहली से पांचवीं के बच्चों को यहीं बैठकर पढ़ाना पड़ता है। हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं छत भरभरा गिर न जाए। स्कूल की स्थिति को लेकर कई बार विभाग को पत्र लिखा, लेकिन कोई जबाव नहीं आया।
दो कमरों में बैठ रहे 147 बच्चे
कुछ ऐसी ही हालत शासकीय प्राथमिक शाला प्रतापपुर की है। ४० साल पुराने भवन का एक हिस्सा पिछले साल बारिश में गिर गया था। अब स्कूल में केवल दो कमरों में कक्षा पहली से पांचवीं के १४७ बच्चे पढ़ाई करने मजबूर हैं। इन कमरों की हालत पूरी तरह जर्जर है। नीचे का फर्श पूरी तरह उधड़ चुका है। बारिश की सीलन के बाद कमरों की दीवारों में जगह-जगह दरारें फूट गई हैं। प्रभारी रेखा मरावी कहती हैं बच्चों को पढ़ाने के लिए दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए यहीं बैठाकर काम चला रहे हैं।
बरेली शाला का भवन डेड घोषित हो चुका है। वहीं प्रतापपुर मेें दो जर्जर कमरों में स्कूल लग रहा है। अतिरिक्त भवन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, स्वीकृति मिलने के बाद ही नया भवन का काम शुरू होगा।
– आरपी चतुर्वेेदी, जिला शिक्षा केन्द्र समन्वयक