scriptबाघों का कुनबा बढ़ाने एसएफआरआइ करेगा नया प्रयोग, जंगलों में चीतलों की बढ़ाएंगे संख्या | Chital will be increased for tigers | Patrika News

बाघों का कुनबा बढ़ाने एसएफआरआइ करेगा नया प्रयोग, जंगलों में चीतलों की बढ़ाएंगे संख्या

locationजबलपुरPublished: Aug 03, 2019 01:35:15 am

Submitted by:

reetesh pyasi

टीम ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की रिसर्च, उगाई जाएंगी पसंद वाली घास

lion safari

lion safari

जबलपुर। राज्य के चार प्रमुख नेशनल पार्कों में बाघों की कैरिंग कैपेसिटी लगभग फुल हो गई है। बाघों के नए रहवास के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एक बेहतर विकल्प है। पहाड़ी, ढलाननुमा और समतल जमीन के मिश्रित जंगल में बाघों के लिए 42 गांवों को शिफ्ट किया गया है। यहां जैव विविधता भी अच्छी है। वहीं शाकाहारी वन्य प्राणियों की पर्याप्त उपलब्धता वाला जंगल ही बाघों का बेहतर रहवास बन सकता है। इसके लिए वन विभाग ने रिसर्च कराई है। राज्य वन अनुसंधान संस्थान की वाइल्ड लाइफ ब्रांच ने चीतलों की फूड च्वाइस पर दो साल में 360 पेज की रिसर्च की है।

9982 चीतलों के लिए पर्याप्त हैं जंगल
रोल ऑफ मैनेजमेंट इंटरवेंशन इन वाइल्ड लाइफ हैबीटेट इम्प्रूवमेंट ऑन इवेक्टेड साइट्स ऑफ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रोजेक्ट में 1328.74 हेक्टेयर जंगल में 23 साइट में रिसर्च की गई। ट्रैप कैमरा, पैलेट काउंट (गोबर) एवं दूरबीन से डेटा कलेक्शन हुआ। खाने योग ए एवं बी ग्रेड और खाने योग्य सी ग्रेड की घास, दहलनी शाकीय पौधे एवं सीजनल छोटे शाकीय पौधों के आधार पर चीतलों की कैरिंग कैपेसिटी बताई गई है। गांव शिफ्टिंग से खाली हुए जंगल 9982 चीतलों के लिए पर्याप्त हैं।
प्रयोग करने से बढ़ी उत्पादकता
वाइल्ड लाइफ ब्रांच की हेड डॉ. अंजना राजपूत ने बताया, प्रोजेक्ट में मई 2017 से जून 2019 तक 23 साइट में हैबीटेट सूटेबिल्टी की रिपोर्ट तैयार की गई है। गावों की शिफ्टिंग के बाद हरियाली बढ़ाने के लिए जमीन समतल की गई। दो गांवों में कोई प्रयोग नहीं किया। जबकि, अन्य गांवों में खर पतरवार साफ कर घास बीज डालने के साथ अलग-अलग प्रयोग किए गए। जिनमें प्रयोग हुए उस जंगल की उत्पादकता ज्यादा साबित हुई। हरी घास और सूखे घास की वजन के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट में यह भी है कि कौन सी ग्रासलैंड किस प्रजाति के लिए उपयुक्त है।
ज्यादा पसंद है दलहनी घास
चीतल समतल जमीन पर रहता है। पहाड़ी पर कम चढ़ता है। जबकि, सांभर घने जंगल और पहाडिय़ों में चरते हैं। मानसून, सर्दी और गर्मी में उपलब्धता के अनुसार चीतल की फूड च्वाइस बदलती रहती है। मानसून सीजन में घास ज्यादा और पेड़ों की पत्तियां कम खाता है। जबकि, गर्मियों पर पेड़ों की पत्तियों पर निर्भरता ज्यादा होती है। कटीले खर पतवार को नहीं खाता है। सर्वाधिक पसंद दलहनी शाकीय पौधे हैं और यह पौष्टिक भी हैं। वह डाइकेनथियम (कांदी), हेट्रोपोगान कोंटाटस (सुकरा), थिमेडा क्वाडीवालबेस (गुन्हेर), साइनोडोन डेक्टाइलोन (दूब), ओपलिस मेनिस बर्मानी एवं स्चिमम इंडीकम चीतलों की पसंद है।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में हुई रिसर्च में चीतलों की फूड च्वाइस पता चली है। इन घास प्रजातियों पर ध्यान दिया जाएगा। प्रदेश के नेशनल पार्क, सेंचुरी में जहां ये प्रजातियां कम हो रही होगी, वहां ऐसी घास बढ़ाई जाएंगी।
जेएस चौहान, एपीसीसीएफ
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो