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जिले में स्वच्छता अभियान पर लगा ब्रेक, जानें क्या है कारण

locationजबलपुरPublished: Jun 12, 2018 01:45:44 pm

Submitted by:

deepankar roy

लोग खुले में शौच जाने हैं मजबूर

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कटनी । उमरियापान क्षेत्र के ग्राम पिपरिया सहलावन निवासी रघ्घू लाल, राम कुमार आदिवासी, रीठी की शकुन बाई चौधरी, सिलौंड़ी के छोटेलाल ठाकुर के घर पर शौचालय बना है लेकिन फिर भी ये खुले में शौच जाने मजबूर हैं। इसकी वजह है पानी न मिल पाना।
स्वच्छता अभियान के अंतर्गत लोगों से कहा जा रहा है कि वे खुले में शौच न जाएं और अपने घरों में शौचालय बनाएं। जिले के कई इलाकों में लोगों को पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में वे शौचालय का उपयोग कैसे करें। एक ओर जिला प्रशासन खुले में शौच करने से रोकने के लिये तरह-तरह के तरीके अपना रहा है। उधर लोग घरों में बने शौचालय का उपयोग ही नहीं कर पा रहे हैं। जिले की 300 से अधिक ऐसी बसाहटें हैं, जहां पर गर्मी में निस्तार के लिए तो छोडि़ए पीने को पानी भी पर्याप्त नहीं मिल रहा। इसके लिए पीएचइ ने 520 लाख और 157 लाख की कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी थी, ताकि लोगों की प्यास बुझ सके और निस्तार हो सके लेकिन ये दोनों योजना फाइलों में दफन होकर रह गई हैं।


ये है शौचालयों की स्थिति
पानी के अभाव में शौचालय में कहीं कंडे तो कहीं, भूसा को कहीं घर का कबाड़ा भरा है। शौचालय का उपयोग न कर लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि सरकार व ग्राम पंचायत खुले में शौच न करने पर पाबंदी लगा रही है लेकिन घरों में बने शौचालय के उपयोग की सफाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। और तो और पीने तक के लिए पानी नहीं मिल पा रहा।


टैंकरों से होनी थी पानी की सप्लाई
जिले का औसत जलस्तर 18.79 मीटर में है। वर्तमान में कटनी का 18, रीठी का 29, बड़वारा का 17.05, विजयराघवगढ़ का 21, बहोरीबंद का 18, ढीमरखेड़ा का 23.86 मीटर जलस्तर है। यह गर्मी में दिन-प्रतिदिन नीचे जा रहा है। जिन स्थानों में पानी नहीं निकलना था, वहां टैंकरों से सप्लाई होनी थी। 5 हजार 880 टैंकर पानी की सप्लाई के लिए 2 करोड़ 94 लाख रुपए का प्रस्ताव पीएचइ द्वारा तैयार किया गया था लेकिन यह सिर्फ कागजों में बनकर रह गया।
यहां भी लगा तगड़ा झटका
स्लीमनाबाद. ओडीएफ घोषित होने की कगार पर खड़े बहोरीबंद ब्लाक में स्वच्छ भारत अभियान को तगड़ा झटका लगा है। ब्लॉक की 30 बसाहटों के लोगों ने घर में बने शौचालयों में ताला लगाकर खुले में शौच जाने का निर्णय लिया है। पानी बचाने के लिए पुरुष ही नहीं गांव की बहू-बेटियां भी शौच के लिए खेतों में जाने मजबूर हैं। ग्रामीणों के इस निर्णय से हर दिन एक घर में 50 से 100 लीटर पानी की बचत हो रही है। यहां पर शौचालयों में ताले लटके हैं। लोगों का कहना है कि हर दिन 100 लीटर पानी की बचत हो रही है। यह पूरे परिवार के नहाने और कपड़ा धोने के काम आ रहा है। मसन्धा, भखरवारा, पटीकला, पटिराजा, बसेहड़ी, मवई, छुरिया, बंधी, धूरी, बॉसन, चरगवां में अधिक समस्या है। नीरज जैन ब्लॉक समन्वयक स्वच्छता मिशन बहोरीबंद का कहना है पानी पहुंचाया जा रहा है।
पानी की समस्या रीठी मुख्यालय, देवगांव, बडग़ांव, पटौंहा, देवरीकला, मोहास, बकलेहटा, खुसरा, गुरजी, बरजी सहित बहोरीबंद तहसील क्षेत्र के बाकल, मसंधा, सिहुंडी, बसेहड़ी, बरही, हथियागढ़, कूडऩ, छुरिया, राजापटी, बांसन, अमाड़ी, चरगवां, मोहतरा सहित अन्य गांवों में समस्या होती है। इसके अलावा विजयराघवगढ़ और बड़वारा और ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र के कुछ गांव प्रभावित क्षेत्र में शामिल हैं।
जिले के 200 से अधिक गांवों में पेयजल की समस्या।
सूखा राहत प्रकरण से बंधी आस नहीं हुई पूरी।
बहोरीबंद और रीठी क्षेत्र में है विशेष समस्या।
जिले में मात्र 895 मिमी वर्षा हुई है दर्ज।
जिले की सामान्य वर्षा 1124.4 मिमी है।
1 अप्रैल से 30 जून तक होना था पानी का इंतजाम।
1 अक्टूबर से 31 मार्च तक पेयजल की बताई थी समस्या।
157.50 लाख रुपए से व्यवस्था किए जाने बना था प्रस्ताव।

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