जानकारी के अनुसार पयोजेनिक मेनिनजाइटिस नामक बीमारी से पीड़ित गाडरवारा के 20 वर्षीय ललित सराठे को परिजन गाडरवारा से लाकर जबलपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल पहुंचते ही मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन हालत बिगड़ने पर अस्पताल प्रबंधन ने 90 हजार रुपये का बिल थमा कर मरीज को मेडिकल अस्पताल ले जाने कह दिया। महज एक दिन के इलाज के एवज में इतनी बड़ी धनराशि का बिल देखकर मरीज के स्वजन सन्न रह गए। उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला भी दिया। अस्पताल प्रशासन के आगे काफी मिन्नत की। पर अस्पताल प्रशासन टस से मस नहीं हुआ। इस विपरीत परिस्थिति में अस्पताल में ही कुछ लोगों ने मरीज के परिजनों को केयर बाय कलेक्टर ह्वाट्सएप नंबर पर संदेश भेजने की जानकारी दी।
ये भी पढें- इस IAS ने लौटाई 31 स्वास्थ्यकर्मियों के चेहरों पर रौनक, जानें क्या है मामला… इस पर मरीज की बहन ने ऐसा ही किया। केयर बाय कलेक्टर ह्वाट्सएप पर महिला का संदेश पढते ही कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया को फोन कर मामले के त्वरित निस्तारण का निर्देश दिया। कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ ने स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों पर निगरानी रखने को नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंक दुबे को संस्कारधानी हॉस्पिटल भेजा। डॉ दुबे, फौरन अस्पताल पहुंचे और मरीज के परिजनों से मिल कर सारी जानकारी हासिल की। फिर इलाज से संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण किया। उसके बाद इस तरह के बिल को लेकर अस्पताल प्रबंधन को कार्रवाई की चेतावनी दी। कार्रवाई की चेतावनी के बाद अस्पताल प्रबंधन बिल में से 60 हजार रुपये कम किया, तब जा कर मरीज के परिजनों ने 30 हजार रुपये ही जमा किए और मरीज को लेकर मेडिकल कॉलेज चले गए।