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Collector Jabalpur की एक और मानवीयता, अब इस मरीज के इलाज खर्च को कराया कम

locationजबलपुरPublished: Oct 04, 2021 02:55:51 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-हाल ही में जिले के 31 स्वास्थ्यकर्मियों की नौकरी को बहाल कराया था Collector Jabalpur ने

कलेक्टर जबलपुर कर्मवीर शर्मा

कलेक्टर जबलपुर कर्मवीर शर्मा

जबलपुर. ये Collector Jabalpur कर्मवीर शर्मा की मानवीयता ही तो है कि जिले का कोई भी नागरिक किसी तरह की परेशानी में हो और उसकी जानकारी कलेक्टर को लग जाए तो उसकी मदद होनी तय है। ऐसा नागरिकों का मानना है। ये सच भी है, अभी हाल ही में उन्होंने 31 स्वास्थ्यकर्मियों की चली गई नौकरी बहाल कराई। अब एक ऐसा पीड़ित परिवार जिसके घर का सदस्य जो गंभीर रूप से बीमार हो कर गाडरवारा से जबलपुर इलाज के लिए आया था और एक निजी अस्पताल संचालक ने परिजनों को 90 हजार रुपये का बिल थमा दिया। इतना बड़ा बिल देख कर परिवार वाले सन्न रह गए। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। ऐसे में कुछ लोगों ने ‘केयर बाय कलेक्टर’ के ह्वाट्सएप नंबर पर संदेश भेजने की सलाह दी। ऐसे में मरीज की बहन ने ऐसा ही किया। नतीजा कलेक्टर ने फौरन सहृदयता दिखाते हुए अस्पताल प्रशासन के 90 हजार के बिल में से 60 हजार रुपये कम करा दिया।
जानकारी के अनुसार पयोजेनिक मेनिनजाइटिस नामक बीमारी से पीड़ित गाडरवारा के 20 वर्षीय ललित सराठे को परिजन गाडरवारा से लाकर जबलपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल पहुंचते ही मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन हालत बिगड़ने पर अस्पताल प्रबंधन ने 90 हजार रुपये का बिल थमा कर मरीज को मेडिकल अस्पताल ले जाने कह दिया। महज एक दिन के इलाज के एवज में इतनी बड़ी धनराशि का बिल देखकर मरीज के स्वजन सन्न रह गए। उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला भी दिया। अस्पताल प्रशासन के आगे काफी मिन्नत की। पर अस्पताल प्रशासन टस से मस नहीं हुआ। इस विपरीत परिस्थिति में अस्पताल में ही कुछ लोगों ने मरीज के परिजनों को केयर बाय कलेक्टर ह्वाट्सएप नंबर पर संदेश भेजने की जानकारी दी।
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इस पर मरीज की बहन ने ऐसा ही किया। केयर बाय कलेक्टर ह्वाट्सएप पर महिला का संदेश पढते ही कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया को फोन कर मामले के त्वरित निस्तारण का निर्देश दिया। कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ ने स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों पर निगरानी रखने को नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंक दुबे को संस्कारधानी हॉस्पिटल भेजा। डॉ दुबे, फौरन अस्पताल पहुंचे और मरीज के परिजनों से मिल कर सारी जानकारी हासिल की। फिर इलाज से संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण किया। उसके बाद इस तरह के बिल को लेकर अस्पताल प्रबंधन को कार्रवाई की चेतावनी दी। कार्रवाई की चेतावनी के बाद अस्पताल प्रबंधन बिल में से 60 हजार रुपये कम किया, तब जा कर मरीज के परिजनों ने 30 हजार रुपये ही जमा किए और मरीज को लेकर मेडिकल कॉलेज चले गए।
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