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जबलपुर

बस थोड़े सी सावधानी, सुरक्षित रहेंगे आपके बच्चे

स्कूल संचालकों की बैठक में कलेक्टर की हिदायत

जबलपुरJul 12, 2019 / 01:28 am

shyam bihari

teachers arrive in schools

teachers arrive in schools

जबलपुर। बच्चों की सुरक्षा में स्कूल अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नहीं झाड़ सकते। सभी को अपने व्यावसायिक हितों से ऊपर उठकर सोचना होगा। स्कूली वाहन के फिटनेस सर्टिफिकेट, ड्राइवर-कंडक्टर का बच्चों के प्रति कैसा व्यवहार है, इस पर नजर रखें। यह हिदायत स्कूल संचालक और बस ऑपरेटर्स की बैठक में कलेक्टर भरत यादव ने दी।
एसपी अमित सिंह की मौजूदगी में हुई बैठक में स्कूल संचालकों, स्कूल बस आपरेटर्स, ऑटो रिक्शा चालकों को सुरक्षा मापदंडों की जानकारी दी गई। बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूलों की होगी। लापरवाही मिलने पर कठोर कार्यवाही होगी। इस दौरान एएसपी यातायात अमृत मीणा, डीइओ सुनील नेमा भी मौजूद थे।
ये उपाय करें
– शैक्षणिक संस्थानों में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं।
– प्रत्येक कक्षा में प्रवेश और निर्गम की अलग व्यवस्था हो।
– निजी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र हों, इनके संचालन के लिए स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाए।
– स्कूली वाहनों की पार्किंग के लिए परिसर में व्यवस्था की जाए।
– यातायात सुचारु रखने के लिए वालेंटियर्स या कर्मचारियों की तैनाती की जाए, इसमें ट्रैफि क पुलिस की सहायता ले सकते हैं।
– जिन स्कूलों द्वारा यातायात अवरुद्ध किया जाता है, उनके संचालकों पर पब्लिक न्यूसेंस पैदा करने के प्रकरण दर्ज होंगे
– टै्रफिक पुलिस इस मामले में 133 के तहत प्रकरण दर्ज करे। प्रकरणों के आधार पर डीईओ स्कूलों की मान्यता निरस्त कर सकते हैं।
– निजी स्कूल संचालक शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन करें।
पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी
एसपी अमित सिंह ने कहा कि स्कूल संचालकों को स्कूली वाहनों की पार्किंग के लिए परिसर में स्थान उपलब्ध कराना होगा। स्कूल बस ऑपरेटर्स चालक-परिचालक का पुलिस वेरीफिकेशन कराएं। ड्राइवर-कंडक्टर के व्यवहार के प्रति बच्चों की हर शिकायत को गंभीरता से लें।
कंडम बसों को हटाएं
बैठक में कहा गया कि कंडम वाहनों में बच्चों को नहीं ले जाया जाए। स्कूली बसों की जांच के लिए मैकेनिकल जांच अभियान चलाया जाएगा। ओवरलोडिंग पर भी नजर रखी जा रही है। बैठक में बताया गया कि स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के निर्देश हाल ही में शासन ने जारी किए हैं।
स्कूल प्रबंधन ने नहीं उठाए हाथ
सहायक संचालक शिक्षा पीके श्रीवास्तव ने बैठक में निजी स्कूलों के संचालकों से प्रदेश शासन, सीबीएसई बोर्ड की ओर से जारी सुरक्षा नियमों का पालन करने के जारी आदेश पर हाथ उठाने के लिए कहा, लेकिन एक भी संचालक ने हाथ नहीं उठाया। जबकि यह आदेश पहले ही स्कूलों को जारी हो चुके हैं।
बच्चे कलेजे के टुकड़े हैं, बड़ी जिम्मेदारी भी अपनी है
बच्चा कलेजे का टुकड़ा है। इसलिए घर से लेकर बाहर तक उसकीसुरक्षा की चिंता करने की पहली और आखिरी जिम्मेदारी भी अपनी ही होती है। बच्चे को स्कूल तक खुद नहीं पहुंचा पा रहे हैं, तो हर पल सचेत रहें। बस, वैन या ऑटो से भेजने के पहले उसके चालक की पूरी जन्मकुंडली अपने पास रखें। पुलिस वेरीफिकेशन की तहकीकात करें। सिर्फ मोबाइल नम्बर रखकर ही काम न चलाएं। कोशिश करें कि उसके घर तक चले जाएं। यदि स्कूल प्रबंधन की बस या वैन है, तो जिम्मेदारों से मिलते रहें। बच्चा घर आकर चालक, परिचालक की किसी तरह की शिकायत करे, तो उसे बेहद गम्भीरता से लें। बच्चा है, यह कहकर टाल देने से खतर बढ़ जाता है। बच्चे का मनोविज्ञान समझें। उसे तैयार करें कि कोई अजनबी ‘अंकलÓ या ‘भैयाÓ बनकर करीब न आने पाए। याद रखें, बच्चों के लिए परिजन ही सबकुछ हैं। उसे स्कूल भेजकर यह कभी नहीं मानना चाहिए कि अपनी जिम्मेदारी खत्म। बस, वैन, ऑटो चालक के लिए आपका बच्चा नौकरी/ बिजनेस का हिस्सा हो सकता है। लेकिन, आपके तो जीवन भर की पूंजी हैं। अनमोल पूंजी को दूसरों के भरोसे छोडऩे के बारे में तो कभी सोचना भी नहीं चाहिए।

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