अपर कलेक्टर शेरसिंह मीणा ने बिशप पीसी सिंह के ट्रस्ट युनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी को मिली भूमि का व्यावसायिक मद में उपयेाग करने पर कार्रवाई की थी। उन्होंने 200 करोड़ रुपए बाजार मूल्य वाली इस भूमि की लीज को रद्द कर खसरे में शासन मद दर्ज करने का आदेश रांझी तहसीलदार को दिया था। तहसीलदार ने आदेश के तहत सोमवार को विधिवत खसरे में शासन दर्ज कराया। ऐसे में अब पूरी जमीन सरकारी घोषित हो गई है।
इस जमीन की लीज नवीनीकरण का आवेदन वर्ष 1999 में दिया गया था। इस अवधि में लीज रेंट भी नहीं चुकाया गया। इस बीच बिशप ने यहां व्यावसायिक गतिविधियां शुरू करते हुए लाखों रुपए कमाए। जमीन पर बनी इमारतों में ओवरसीज बैंक, भारतीय खाद्य निगम का क्षेत्रीय कार्यालय, सद़भावना भवन, विकास आशा केंद्र और चर्च का संचालन किया जा रहा है।
जबकि यह जमीन केवल आवासीय मद के रूप में उपयोग की जा सकती थी। इन केंद्रों से बिशप ने लाखों रुपए कमाए हैं। बिशप यहां अपना निजी बंगला भी तैयार करवा रहा था। उसने 42 से ज्यादा लोगों को अवैध तरीके से प्लॉट भी बेचकर कमाई की।
ईओडब्ल्यू ने किया जमानत अर्जी का विरोध
हाईकोर्ट की जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने बिशप पीसी सिंह की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए ईओडब्ल्यू से केस डायरी तलब की। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार 30 सितंबर निर्धारित की गई।
अर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) की ओर से अधिवक्ता मधुर शुक्ला ने जमानत आवेदन का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि पूर्व बिशप सिंह पर गम्भीर आरोप लगे हैं। आवेदक प्रभावशाली है। जमानत पर जेल से छूटने के साथ ही वह प्रकरण से सम्बंधित साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है। बिशप पीसी सिंह जर्मनी में था, तब आठ सितम्बर को ईओडब्ल्यू ने उसके आवास व कार्यालय में छापा मारा था। करोड़ों रुपए नकद व सोने के जेवर बरामद किए गए थे।
अपर कलेक्टर न्यायालय के आदेश पर बिशप पीसी सिंह के ट्रस्ट युनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी की लीज को रद्द करते हुए विधिवत रूप से इस जमीन के खसरे पर शासन दर्ज कर दिया गया है।
श्यामनंदन चंदेले, तहसीलदार रांझी