केस दो : गोल बाजार स्थित एक निजी अस्पताल में एक दिल के मरीज को भर्ती किया गया। एंजियोग्राफी के बाद स्टेंट लगाने का परामर्श दिया। इस पर परिजनों ने मरीज को उपचार के लिए नागपुर ले जाने की बात कही। लेकिन अस्पताल डिस्चार्ज में अड़ंगा बन गया। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद मरीज को अस्पताल ने डिस्चार्ज किया। बताया जा रहा है कि स्टेंट लगाने की सर्जरी पर मोटा पैकेज होता है। रेफर करने वाले का कमीशन तय रहता है।
यह है स्थिति
– 100 से ज्यादा निजी अस्पताल जिले में संचालित हो रहे हैं।
– 02 हजार से ज्यादा मरीज प्रतिदिन जिले के ग्रामीण क्षेत्र से उपचार कराने के लिए शहर आते हैं।
– 05 सौ से ज्यादा गंभीर समस्या से पीडि़त मरीज प्रतिदिन आसपास के जिलों से शहर आते हैं।
– 5 से 20 हजार रुपए तक प्रति मरीज अनुसार डॉक्टर और छोटे अस्पताल (ग्रामीण) का कमीशन है।
– 10 से 25 हजार रुपए तक प्राइवेट एंबुलेंस ड्राइवर को प्रति मरीज लाकर भर्ती कराने पर कमीशन।
निजी अस्पतालों के कमाई के हथकंडे
– मरीज लाकर भर्ती करने के लिए निजी एंबुलेंस के ड्राइवर को कुछ अस्पताल अग्रिम भुगतान कर रहे हैं।
– कस्बों और ग्रामीण क्षेत्र के छोटे अस्पताल के संचालकों के साथ प्रति मरीज कमीशन फिक्स कर रखा है।
– ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ डॉक्टरों को रेफर किए गए मरीज के बिल के अनुसार कमीशन की राशि दे रहे हैं।
– कुछ अस्पताल सुविधाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की गलत जानकारी देकर मरीजों को भर्ती कर लूट रहे हैं।
– गंभीर बीमारी से पीडि़त जिन मरीजों को सर्जरी की जरूरत है, उनके लिए ज्यादा कमीशन राशि दे रहे हैं।
– कुछ नए छोटे और मझौले अस्पताल मरीजों की आर्थिक स्थिति अनुसार ज्यादा कमीशन ऑफर कर रहे हैं।
– सर्जरी वाले मरीजों के लाने पर कुछ अस्पतालों ने अपने कर्मचारियों को भी कमीशन का लालच दे रखा है।
आइएमए ने माना कुछ महीने से शुरू हुआ खेल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थानीय शाखा की ओर से अपने स्तर पर की गई छानबीन में भी पता चला है कि कुछ महीने से कमीशन का खेल बढ़ा है। कुछ अस्पताल मरीजों से ज्यादा शुल्क वसूल रहे हैं। शहर से दूर दराज पर संचालित अस्पताल जो गैर एलोपैथिक डॉक्टरों द्वारा चलाएं जा रहे हैं, वे गांव से इन अस्पतालों में मरीज भेजते हैं। इस पर अस्पताल के प्रबंधकों की ओर से मरीज के बिल के हिसाब से रेफर डॉक्टर को कमीशन दिया जाता हैं। ये राशि मरीज के बिल में जोड़ दी जाती हैं। इसी प्रकार एम्बुलेंस ड्राइवर मरीज को उसी अस्पताल में लाने के लिए अस्पताल प्रबंधक द्वारा एडवांस में भुगतान किया जाता हैं और यह बिल भी मरीजों के बिल में जोड़ा जाता है।
कुछ अस्पताल की मरीजों से ज्यादा शुल्क लेने की लगातार शिकायतें सामने आयीं हैं। पता चला है कि ये मरीज भेजने वालों को कमीशन दे रहे हैं। ये राशि बाद में मरीजों के बिल में जोड़ रहे हैं। इसके कारण चिकित्सकीय पेशा बदनाम हो रहा है। ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग को शिकायत की गई है।
– डॉ. पवन स्थापक, अध्यक्ष, आइएमए
आइएमए की ओर से शिकायत प्राप्त हुई हैं। मरीजों से जबरन ज्यादा बिल वसूलने की बात सामने आयीं है। इस प्रकार के अस्पतालों की जांच की जाएगी। रेफरिंग डॉक्टर और एम्बुलेंस ड्राइवर की जानकारी भी ली जाएगी। इनके विरुद्ध अनुशासनात्मक व दंडात्मक कार्रवाई करेंगे।
डॉ. रत्नेश कुररिया, सीएमएचओ