लोक शिक्षण विभाग का मामला, प्रभारी सहायक संचालक पर कम्प्यूटर खरीदी में लगे हैं गड़बड़ी के आरोप
जबलपुर। लोक शिक्षण विभाग में हुए कम्प्युटर खरीदी घोटाला मामले में डॉ. डीके खरे व अन्य के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने बुधवार को कोर्ट में चालान पेश किया। चालान भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत विशेष सत्र न्यायाधीश भोपाल की अदालत में पेश किया गया है। डॉ. खरे पर आरोप है कि उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर रहते हुए अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद से कम्प्यूटर खरीदी में गड़बड़ी की थी। डॉ. खरे वर्तमान में लोक शिक्षण संचालनालय जबलपुर में विधि प्रकोष्ठ के प्रभारी सहायक संचालक हैं।
विधानसभा में दी थी फर्जी रिपोर्ट
आईटीसी योजना के तहत छात्रों को वितरित किए जाने वाले कम्प्युटर की 2006-08 के बीच हुई खरीदी में गड़बड़झाला हुआ था, इसमें तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. डीके खरे व कुछ और अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। मामले की भनक ईओडब्ल्यू को लगी। ईओडब्ल्यू ने जांच की तो डॉ. खरे द्वारा किए गए गड़बड़झाले का खुलासा हुआ। बाद में विभागीय जांच तत्कालीन जेडी एसके त्रिपाठी को मिली। मामला विधानसभा में भी उठा, तब तत्कालीन जेडी ने विधानसभा में फर्जी रिपोर्ट पेश की, इसमें खरे को क्लीन चिट दी गई थी। यहीं रिपोर्ट ईओडब्ल्यू व भोपाल स्थित डीपीआर को भेजी गई।
दूसरे जेडी ने कराई थी एफआईआर
कुछ समय बाद जब एक अन्य जेडी केके द्विवेदी ने मामले की फाइल पलटी तो उन्हें संदेह हुआ। द्विवेदी ने गुपचुप तरीके से जांच की तो पता चला कि पहले जो जांच की गई थी वह गलत है और उसकी रिपोर्ट फर्जी थी। इसके बाद उन्होंने ईओडब्ल्यू में डॉ. डीके खरे, तत्कालीन जेडी एसके त्रिपाठी व एसके मरावी व अन्य के खिलाफ 17 सितंबर 2013 को धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एफआईआर ईओडब्ल्यू के भोपाल स्थित मुख्यालय में हुई थी।