पिछले हफ्ते बिगड़ा स्वास्थ्य
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार श्री दुबे को पिछले हफ्ते श्वांस की तकलीफ हुई। इसके बाद उन्हें जबलपुर हास्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां जांच में यह बात सामने आयी कि उनका निमोनिया बिगड़ गया है। बुधवार शाम से ही उनका स्वास्थ्य और नाजुक हो गया था। उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। गुरुवार सुबह डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर के बाद भारी संख्या में लोग अस्पताल व उनके निवास पर एकत्रित हो गए। सभी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
छोड़ दी अमेरिका की नौकरी
पारिवारिक सहयोगी राकेश दुबे ने बताया कि श्री दुबे ने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री लेने के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई। इसी दौरान अमेरिका में उनकी नौकरी लग गई, लेकिन देश की मिट्टी को छोड़कर किसी अन्य देश में सेवाएं देना उन्हें रास नहीं आया। वे लौटकर जबलपुर आ गए और अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू किया।
स्ट्रगल की मिसाल
श्री दुबे का कृतित्व युवाओं के लिए मिसाल भी हो सकता है। जब दुबे के मन में पोल्ट्री फार्म डालने का विचार आया तो पिता पं. कुंजीलाल दुबे व अन्य परिजन इससे पूरी तरह सहमत नहीं थे। लेकिन दुबे अपने संकल्प पर अडिग रहे। उन्होंने पोल्ट्री फार्म शुरू किया और अपनी जीवटता से उसे एशिया के नंबर वन पोल्ट्री में शुमार कर दिया। पोल्ट्री के क्षेत्र में उनके फीनिक्स गु्रप को आज पूरी दुनिया जानती है। पोल्ट्री फार्मिंग में उन्होंने ऐसी तकनीकी ईजाद की जिसे आज भी दुनिया सलाम करती है। पोल्ट्री फार्मिंग में उनके द्वारा अपनाई गई तकनीकी को विश्व में सवोत्कृष्ट माना गया है।
चौड़ी सड़कों और ग्रीनरी का सपना
विश्वनाथ दुबे को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय का काफी करीबी माना जाता था। उनकी पहल पर ही उन्होंने वर्ष 1999 में जबलपुर से महापौर का चुनाव लड़ा। बेदाग छवि और आकर्षक व्यक्तित्व की वजह से शहर की जनता ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया और अपना महापौर चुन लिया। दुबे जन उम्मीदों पर खरे भी उतरे। उन्होंने चौड़ी सड़कों और ग्रीनरी के अपने विजन को न केवल अमली जामा पहनाया बल्कि आने वाले महापौरों को भी इस दिशा में कार्य करने के लिए एक राह दी। जबलपुर की सबसे बेहतर और प्रदेश में मॉडल मानी जाने वाली मुख्य बस स्टेंड की मॉडल रोड उन्हीं के कार्यकाल की सौगात है, जो 18 साल बाद भी वैसी ही है, जैसी निर्माण के समय रही। इसके कार्य की गुणवत्ता को शहर में आज तक कोई स्पर्श तक नहीं कर पाया। दुबे की खासियत यह थी कि अच्छे कामों पर वह विपक्ष की भी जमकर तारीफ करते थे और बुरे काम पर अपनों को भी टोंक देते थे। उनकी इसी स्पष्टवादिता के कारण हर दल के नेता उनका सम्मान करते थे।
शिक्षा के क्षेत्र में अवदान
श्री दुबे ने शहर में पोल्ट्री फार्म की शुरुआत करके हजारों युवाओं को रोजगार प्रदान किया। शिक्षा के क्षेत्र में भी इनका योगदान कम नहीं है। श्री दुबे के दो बड़े शिक्षण संस्थान हैं, जिन्हें उनकी पत्नी अंजलि दुबे सम्हालती हैं। श्री दुबे की इकलौती बेटी गौरा का विवाह दिल्ली में हुआ है। पिता के निधन की खबर सुनकर वे भी जबलपुर आ गई हैं।
बढ़ाया पिता का मान
श्री दुबे के पिता स्व. पं. कुंजीलाल दुबे शिक्षा विद होने के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल में विधानसभा में कांग्रेस का नेतृत्व किया। शिक्षा के क्षेत्र में अवदान की वजह से ही जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह का पं. स्व. कुंजीलाल दुबे के नाम पर समर्पित किया गया है।
भावपूर्ण श्रद्धांजलि
कांग्रेस नेता व श्री दुबे के निधन की सूचना से पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, विधायक अशोक रोहाणी, विधायक नीलेश अवस्थी समेत पक्ष-विपक्ष के अनेक नेता, कार्यकर्ता व समाजसेवी उनके नया गांव स्थित निवास पर पहुंच गए। श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह , पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा समेत अन्य नेताओं ने श्रद्धांजलि देते हुए उनके निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया। श्री दुबे का अंतिम संस्कार रानीताल मुक्तिधाम में किया गया।