शुरुआत से अभी तक वहीं लापरवाही
शहर में कोरोना संक्रमण नियंत्रित रखने का दावा करकेअपनी पीठ थपथपाने वाले प्रशासन की निगरानी में पहले दिन से ही चूक हुई। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संदिग्धों की जांच में पहले दिन से लापरवाही बरती। शुरुआती दौर में क्वारंटीन एक संदिग्ध ने सर्दी-बुखार की सूचना दी तो उसे अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस भेजने में सुबह से शाम हो गई। लॉकडाउन में गरीबों को अनाज बांटने वाले एक व्यक्ति को हरारत और गले में खराश महसूस हुई। वह जांच के लिए अस्पताल गया तो डॉक्टरों ने उसे स्वस्थ्य बताकर लौटा दिया। दो दिन बाद उसे सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई। दोबारा अस्पताल जाने पर भी डॉक्टरों ने नमूना लेने से मना कर दिया। बाद में जांच हुई तो रिपोर्ट कोविड-19 पॉजिटिव आई। कोरोना संदिग्धों की जांच में अनदेखी का यह मामला हाल में मिले तीन कोरोना संक्रमित के केस में भी सामने आया है। लापरवाही का सिलसिला नहीं थमने से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
आंकड़ों की बाजीगरी, ढंकते जा रहे गड़बड़ी
शहर में कोरोना संदिग्धों की जांच करके संक्रमण रोकने की बजाय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आंकड़ों की बाजीगिरी करते रहे। बेहतर स्थिति बताने के लिए डिस्चार्ज बढ़ाने से लेकर संक्रमितों और मौत के आंकड़े कम दर्शाने की वजह खोजने में माथापच्ची में करते रहे। इस खेल में एक बार संक्रमित के केयर टेकर को डिस्चार्ज बता दिया गया। एक ही संक्रमित के स्वस्थ्य होने पर उसे दो बार डिस्चार्ज दर्शा दिया गया। उपचार के दौरान हुई एक वृद्ध की मौत को भी कई दिन तक कोरोना आंकड़ों में शामिल नहीं किया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार आंकड़ों की हेराफेरी से लेकर संदिग्धों की जांच, संक्रमितों की शिफ्ंिटग से लेकर आइसोलेशन में लापरवाही बरतते रहे। गड़बडिय़ों पर कार्रवाई की बजाय प्रशासन भी कमियों को ढंकता गया। कड़ी कार्रवाई नहीं होने से अधिकारियों की लापरवाही बढ़ती जा रही है। संक्रमण अब बेकाबू हो रहा है। हर दिन नए इलाके में संक्रमण की दस्तक हो रही है।