scriptकोरोना ने यहां की सैकड़ों साल पुरानी परम्परा को भी तोड़ दिया | Corona also broke the tradition of hundreds of years old | Patrika News

कोरोना ने यहां की सैकड़ों साल पुरानी परम्परा को भी तोड़ दिया

locationजबलपुरPublished: Sep 17, 2020 08:35:41 pm

Submitted by:

shyam bihari

लॉकडाउन से उपजे संकट के बाद अस्थि विसर्जन के लिए इलाहाबाद नहीं जा रहे जबलपुर के लोग

कोरोना ने यहां की सैकड़ों साल पुरानी परम्परा को भी तोड़ दिया

narmada nadi

जबलपुर। कोरोना के कहर ने जबलपुर सहिता आसपास के कई जिलों की वर्षों पुरानी एक परम्परा को भी तोड़ है। नर्मदा किनारे बसे यहां के लोग अस्थि विसर्जन के लिए प्रयागराज गंगा में विसर्जन करने जाते थे। लेकिन, लॉकडाउन-अनलॉक की प्रक्रिया व ट्रेनों के बंद होने का दिवंगतजनों की अस्थियों के विसर्जन पर खासा असर पड़ा है। बीते 6 माह के अरसे में अपने दिवंगतजन की अस्थियों को इलाहाबाद स्थित गंगा नदी में विसर्जन करने ले जाने के बजाय लोग यहीं नर्मदा के तटों पर विसर्जित कर रहे हैं। मुक्तिधामों में अस्थियां सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए सभी लॉकर इस 6 माह के दौरान कभी नहीं भर सके। कोरोनाकाल में सामान्य से अधिक मृत्यु होने का दावा किया जा रहा है।
शहर के प्रमुख चारों मुक्तिधामों में कमोबेश यही हालात हैं। सभी मुक्तिधामों में बने अस्थि लॉकर्स आधी से अधिक संख्या में खाली हैं। मुक्तिधाम कार्यकर्ताओं का कहना है कि मार्च के बाद से ही अस्थियां इलाहाबाद ले जाकर विसर्जित करने का सिलसिला करीब-करीब समाप्त हो चुका है।

गुप्तेश्वर मुक्तिधाम के सुनील पुरी गोस्वामी ने बताया कि पहले की तुलना में लोग लॉकर्स में अस्थियां कम रख रहे हैं। अधिकांश स्थानीय लोग खारीघाट व नर्मदा के अन्य घाटों में विसर्जित कर रहे हैं। जबकि बाहर के लोग ही लॉकर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्वारीघाट मुक्तिधाम के गोलू पुरी गोस्वामी का कहना है कि अधिकांश स्थानीय लोग खारीघाट में ही अस्थियां विसर्जन कर रहे हैं। दूसरे स्थानों के लोग इन्हें लॉकर्स में रखकर अपनी सहूलियत के लिहाज से विसर्जन कर रहे हैं।

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