जबलपुर

कोरोना ने यहां के कई कारखानों में लगवा दिया ताला

जबलपुर जिले के औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति खराब, डिफेंस एंसेलरीज और कास्टिंग इंडस्ट्री पर ज्यादा असर,छिन रहा रोजगार

जबलपुरDec 01, 2020 / 08:11 pm

shyam bihari

INDUSTRIAL CORRIDOR—राजस्थान में शुरू नहीं हुआ इण्डस्ट्रियल फ्रेट कॉरिडोर का काम

औद्योगिक क्षेत्रों में इंडस्ट्रीज
औद्योगिक क्षेत्र : क्षेत्रफल : इंडस्ट्री : रोजगार
रिछाई : 151 : 250 : 4500
अधारताल : 44 : 155 : 2800
उमरिया-डुंगरिया : 316 : 45 : 600
हरगढ़, सिहोरा : 290 : 08 : 250

जबलपुर। एक ओर जहां नई इंडस्ट्रीज की स्थापना जबलपुर में कम संख्या में हो रही है, वहीं जिले के सबसे पुराने अधारताल व रिछाई औद्योगिक क्षेत्र में करीब एक दर्जन इंडस्ट्रीज बंद हो गई हैं। इनमें से ज्यादातर डिफेंस एंसेलरीज हैं। संचालकों ने वर्षों की मेहनत से तैयार इंडस्ट्रीज को दूसरों के हवाले कर दिया है। इसका एक मूल कारण कोविड-19 भी है। इंडस्ट्रीज बंद होने से कई लोगों के हाथों से रोजगार छिन गया है। लॉकडाउन में बंद हुई इंडस्ट्रीज बमुश्किल सम्भल पा रही हैं। लम्बे समय तक मशीनें बंद रहीं। कारीगरों के हाथों में काम नहीं था। इंडस्ट्री संचालक भी बमुश्किल कर्मचारियों को वेतन दे पा रहे थे। अब स्थिति यह है कि कई छोटे उद्योगपतियों के पास काम नहीं है, लेकिन खर्चे (बिजली का बिल, कर्मचारियों का वेतन) जस का तस है।
इनका होता था उत्पादन
इंडस्ट्रीज में बेकरी, नमकीन, इंजीनियरिंग वक्र्स, खनिजों की ढलाई, ऑफसेट पिं्रटिंग, ट्रिब्यूलर टे्रसर, पोल, टैंक, फेरस-नॉन फेरस कास्टिंग, स्टील और लकड़ी के फर्नीचर का निर्माण, झाड़ू के प्लास्टिक के हैंडल, अग्निशमन यंत्र, डिफेंस प्रोडक्ट, बिस्किट्स, केक, ब्रेड, नमकीन, प्लास्टिक के उत्पाद, फेब्रिकेशन आदि का निर्माण होता है। इंडस्ट्रीज के बंद होने से शेड दूसरे उद्योगपतियों को हस्तांतरित कर दिया गया है, लेकिन जिन लोगों ने इन्हें लीज पर लिया है, उन्हें इंडस्ट्री को स्थापित करने में समय लगेगा। ऐसे में इन इकाइयों के कर्मचारियों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। इनकी संख्या 150 से अधिक है। इसी प्रकार मशीनरी भी एक प्रकार से स्क्रैप हो गई है। उसकी अच्छी कीमत भी मिलना मुश्किल हो रहा है।
बंद होने के कारण और भी
– ज्यादादर इंडस्ट्रीज 70 से 80 के दशक की
– अधिकरत इंडस्ट्री संचालक उम्र के पड़ाव पर हैं, दूसरी पीढ़ी संचालन में नहीं ले रही रुचि
– बाजार के अनुरूप नहीं हो रहा उत्पादों का निर्माण
– कोरोना से हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो पाना
– समय के अनुसार तकनीकी परिवर्तन नहीं होना
– सुरक्षा संस्थानों से सीमित वर्कलोड मिलना
– लॉकडाउन के बाद पारंगत श्रमिकों का पलायन

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.