जबलपुर

कार्पोरेट टैक्स: इस जिले की 300 से ज्यादा कंपनियों को मिलेगा लाभ

एक अप्रैल 2020 से लागू होगी कार्पोरेट टैक्स में की गई कटौती

जबलपुरOct 01, 2019 / 06:29 pm

reetesh pyasi

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जबलपुर। रजिस्टर्ड कंपनियों के कार्पोरेट टैक्स में कमी का फायदा शहर और आसपास के जिलों को मिलेगा। इन्हें अब 30 की जगह 22 फीसदी कार्पोरेट टैक्स आयकर विभाग को चुकाना पडेग़ा। विभाग में जबलपुर सहित आयुक्तालय के अंतर्गत जिलों में 300 से अधिक कंपनियां कार्पोरेट टैक्स का रिटर्न फाइल करती हैं। इनकी टैक्स देयता तीन हजार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। लेकिन, अब टैक्स कम होकर 27 सौ करोड़ तक हो सकता है। एक अप्रैल 2020 से लागू होने वाले नए परिवर्तन का फायदा इन कंपनियों को तो होगा साथ ही इनमें से जो कंपनियां किसी वस्तु का उत्पादन करती हैं तो उसकी लागत में कमी आने के कारण कीमत भी कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यदि जबलपुर के दोनों प्रधान आयकर आयुक्त परिक्षेत्र की बात करें तो सबसे ज्यादा टैक्स देने वाली कंपनी एनसीएल है। इसका अकेला टैक्स ही 1200 करोड़ से ज्यादा का बनता है। इसी तरह कुछ बड़ी और ज्यादातर छोटी कंपनियां टैक्स चुकाती हैं। इनमें 15 लाख से कम टैक्स रिटर्न जमा करने वाली कंपनियां ज्यादा हैं। तो 15 लाख से ऊपर रिटर्न जमा करने वाली कंपनियां कम संख्या में हैं।

सरचार्ज मिलाकर 25 फीसदी टैक्स
सरकार ने कार्पोरेट टैक्स को घटाकर 30 फीसरी से 22 प्रतिशत कर दिया है। जबलपुर और इसी तरह के शहरों में सरचार्ज मिलाकर टैक्स 25 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। सीए अनिल अग्रवाल ने बताया कि कार्पोरेट टैक्स उन कंपनियों पर लागू होता है, जो अपने व्यापार या निर्माण को एक रजिस्टर्ड कंपनी के माध्यम से करती है। इसका फायदा कंपनियों को अपनी लागत कम करने में हो सकता। पहले की बात करें तो सरकार ने इसे घटाकर 30 से 25 फीसदी किया था। लेकिन, जबलपुर जैसे शहरों में सरचार्ज मिलाकर टैक्स की देयता करीब 28 फीसदी बनती थी। अब आठ फीसदी की कटौती की गई है। लेकिन, सरचार्ज मिलाकर यह लगभग 25 फीसदी होगा। फिर भी पहले की तुलना में लाभ ज्यादा है।

नई कंपनियों को ज्यादा फायदा
कार्पोरेट टैक्स में कमी का ज्यादा फायदा नई विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) कंपनियों को होगा। क्योंकि, नई कंपनियों के लिए शुरूआत में पंूजी की आवश्यकता ज्यादा होती है। यदि उन्हें कारपोरेट टैक्स कम देना पड़ता है तो निर्मित वस्तु की लागत नहीं बढ़ेगी। यह उपभोक्ताओं को कम कीमत पर मिलेगी तो बाजार में उसकी बिक्री भी ज्यादा होगी। टैक्स एडवोकेट शिशिर नेमा ने बताया कि सरकार का कारपोरेट टैक्स घटाने का मकसद भी कंपनियों की लागत में कमी लाना है।
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