-9 वीं से 12वीं के बच्चे शामिल -डेपुटेशन पर की जानी थी काउंसलरों की नियुक्ति -परीक्षा के दौरान संचालन की योजना -मोटीवेशनल फिल्म का प्रदर्शन -छात्र अभिभावकों का वीडियो तैयार करना
जबलपुर। स्कूलों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के कॅरियर को संवारने के लिए विकासखंड स्तर पर काउंसलिंग सेंटर खोलने की योजना अफसरशाही में उलझ गई। न तो सेंटर ही खुल सके न ही काउंसलरों की नियुक्ति हो सकी। ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को कॅरियर चुनने और पढ़ाई के दौरान आने वाली मनोवैज्ञानिक समस्याओं के निदान के लिए सेंटरों का निर्माण कराया जाना था। पहली बार इस तरह की अभिनव पहल शुरू की जा रही थी क्योंकि अभी तक काउंसलिंग की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में करीब 50 हजार छात्र अध्ययनरत है। अनुमान लगाया गया था कि 10 हजार छात्रों तक सेंटरों के माध्यम से पहुंच बनाई जाएगी लेकिन यह योजना फलीभूत नहीं हो सकी।
5 माह पहले बनी थी योजना स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य और विकासखंड स्तर से काउंसलिंग सेंटर खोलने की योजना अक्टूबर में तैयार की गई थी। इस योजना के लिए काउंसलर बनने के लिए दिसंबर मे शिक्षकों की परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा में मनेाविज्ञान, समाज शास्त्र, मास्टर ऑफ सोशल वर्क, डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग, एमएड जैसी पात्रता रखी गई थी। परीक्षा के पूर्व इन सेंटरों को शुरू कर दिया जाना था ताकि परीक्षा तैयारी के दौरान होने वाली समस्याओं का मौके पर ही समाधान किया जा सके। लेकिन विद्यार्थियों को स्वरोजगार और रोजगार की राह दिखाने की योजना आगे नहीं बढ़ पाई।
उद्योग विभाग से जोडा जाएगा सेंटरों कोसरकार की मंशा है कि कक्षा 10वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों को रूचि के हिसाब से उन्हें कॅरियर गाइडेंस दिया जाए। इस काम के लिए कक्षा 9वीं से ही उन पर फोकस रहेगा। इसमें स्वरोजगार पर विशेष रूप से जोर देने का प्लान तैयार किया गया। जिन सेक्टर्स में निवेश हो रहा है उनको ध्यान में रखकर ही काउंसलिंग सेंटर पर जानकारी दी जाएगी। इन सेंटरों को उद्योग विभाग से भी जोड़े जाने की योजना है।
-काउंसलर के लिए विभाग ने डेपुटेशन पर जाने के लिए परीक्षा आयोजित की थी। एग्जाम देने के छह माह होने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
-दीप्ति ठाकुर, शिक्षक -कॅरियर काउंसलिंग सेंटरों का जिले में निर्माण किया जाना था। यह योजना संचालनालय स्तर पर तैयार की गई थी। इस संबंध में विभाग से जानकारी ली जाएगी।
-सुनील नेमा, जिला शिक्षा अधिकारी