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हाईकोर्ट ने किया बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण
अपनी मर्जी से रहने के लिए स्वतंत्र है वयस्क युवती
बेलबाग निवासी शुभम मराठा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा कि उसने 25 जनवरी को एक युवती से मैहर में प्रेम विवाह किया था। इसकी सूचना देने के लिए 28 जनवरी को वे जबलपुर एसपी कार्यालय आए, लेकिन जीआरपी उन्हें पकडकऱ ओमती थाने ले गई, वहां से याचिकाकर्ता को कटनी जीआरपी और युवती को उसके परिजन के हवाले कर दिया। इसके बाद उसे युवती से मिलने नहीं दिया गया।
बुधवार को युवती को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। अधिवक्ता ब्रजेश रजक, एसके रजक और रामराज चौहान ने तर्क दिया कि युवती के परिजन उसकी मर्जी के खिलाफ दूसरी शादी करना चाहते हैं। इसलिए उसे याचिकाकर्ता से मिलने नहीं दिया जा रहा है, वहीं युवती ने कोर्ट को बताया कि उसने याचिकाकर्ता से विवाह किया है। तीन महीने में उसकी बड़ी बहन की शादी होने वाली है, तब तक वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है। इस पर कोर्ट ने उसे स्वतंत्रता दे दी।