पति ने नहीं दी सहमति
कोर्ट को बताया गया कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट के तहत गठित ऑथराइजेशन समिति से इसके लिए अनुमति जरूरी होती है। उन्होंने इसके लिए आवेदन दिया। लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने 20 दिसम्बर 2021 को यह कहते हुए उनका आवेदन ऑथराइजेशन समिति को अनुमति के लिए भेजने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता के पति रामसहाय मिश्रा ने इसके लिए अपनी सहमति नहीं दी। उनकी एनओसी जरूरी है। इसकी वजह से उनके पुत्र को अब तक किडनी प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका।
जल्द लो फैसला
तर्क दिया गया कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट की धारा-9 के तहत अपने पुत्र को अंगदान करने के लिए पति की सहमति जरूरी नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर निजी अस्पताल के उस फरमान को निरस्त कर दिया, जिसमें अंगदान के लिए याचिकाकर्ता के पति की सहमति जरूरी बताई गई थी। कोर्ट ने निर्देश दिए कि जल्द से जल्द समिति याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर विचार कर फैसला लें।
कोर्ट को बताया गया कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट के तहत गठित ऑथराइजेशन समिति से इसके लिए अनुमति जरूरी होती है। उन्होंने इसके लिए आवेदन दिया। लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने 20 दिसम्बर 2021 को यह कहते हुए उनका आवेदन ऑथराइजेशन समिति को अनुमति के लिए भेजने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता के पति रामसहाय मिश्रा ने इसके लिए अपनी सहमति नहीं दी। उनकी एनओसी जरूरी है। इसकी वजह से उनके पुत्र को अब तक किडनी प्रत्यारोपण नहीं किया जा सका।
जल्द लो फैसला
तर्क दिया गया कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट की धारा-9 के तहत अपने पुत्र को अंगदान करने के लिए पति की सहमति जरूरी नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर निजी अस्पताल के उस फरमान को निरस्त कर दिया, जिसमें अंगदान के लिए याचिकाकर्ता के पति की सहमति जरूरी बताई गई थी। कोर्ट ने निर्देश दिए कि जल्द से जल्द समिति याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर विचार कर फैसला लें।