सुप्रीम कोर्ट के हैं दिशा-निर्देश
केट क्षेत्र निवासी एलएलबी के छात्र साहिल अग्रवाल ने जनहित याचिका में कहा कि दिसम्बर 2019 में केंट बोर्ड के चुनाव प्रस्तावित है। केंट बोर्ड के चुनाव दस साल पुराने केंटोनमेंट इलेक्ट्रोरल रूल्स 2007 के तहत कराए जाते हैं। इन नियमों में इवीएम से मतदान, नोटा (किसी को वोट नहीं), प्रत्याशियों की संपत्ति, आय, आपराधिक प्रकरण के सम्बंध में शपथ-पत्र लेने की व्यवस्था नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देकर कहा गया कि कई मामलों में चुनाव में इवीएम, नोटा, शपथ-पत्र आदि वर्तमान में लोकसभा, विधानसभा चुनाव के लिए प्रचलित अन्य नियमों का पालन करने को कहा गया है।
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आवेदन पर नहीं हुआ विचार
2015 में उसकी इसी सम्बंध में दायर याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और केंट बोर्ड को चुनाव में इवीएम, नोटा और शपथ-पत्र का प्रावधान करने के लिए याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया। लेकिन, अभी तक अभ्यावेदन पर विचार नहीं हुआ। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने तर्क दिया कि निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए ये चुनाव भी राज्य निर्वाचन आयोग के जरिए इवीएम से कराए जाए। साथ ही चुनाव में सुको निर्देशित अन्य प्रावधान भी नियमों में शामिल किए जाएं। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।