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कोर्ट की अवहेलना बंद हो, अफसर छोड़ें ढीठ रवैया

locationजबलपुरPublished: Oct 21, 2019 07:24:42 pm

– हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी और अवमाननाकारी अवहेलना चिंताजनक है

Court Order

कोर्ट ऑर्डर

जबलपुर. शानदार अतीत, खूबसूरत प्राकृतिक वादियां और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत संजोने वाला जबलपुर इन दिनों विडंबनापूर्ण स्थिति की मार झेल रहा है। आसन्न समस्याओं पर नेता घडिय़ाली आंसू बहाकर इतिश्री कर लेते हैं। अफसर उदासीन ही नहीं गैर जिम्मेदाराना और ढीठ रवैया अपनाए हुए हैं। हाईकोर्ट ही है जो बार-बार आर्डर-आर्डर कहकर गूंगी-बहरी प्रशासनिक व्यवस्था को जगाती और शहर को संकट से उबारती आई है। पिछले दिनों पहाडिय़ों के अतिक्रमण की कार्रवाई में आपराधिक अवमानना की श्रेणी का सरकारी हस्तक्षेप किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून बनाने वाले ही काननू तोड़ेंगे तो क्यों न कोर्ट ही बंद कर दें। हाईकोर्ट ने मंत्री लखन घनघोरिया को माफी देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने अब शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या को लेकर नाराजगी जताई है। हैरानी की बात है कि पांच साल से यह समस्या जस की तस है। इसकी वजह से होने वाले हादसों में लोग मर रहे हैं या जीवनभर के लिए अपाहिज हो रहे हैं। कोर्ट ने लोगों के इस दर्द को गहराई से महसूस करते हुए अफसरों को जमकर फटकार लगाई और सख्त लहजे में कहा कि आवारा पशुओं से सड़क हादसा हुआ तो कलेक्टर और एसपी जिम्मेदार होंगे। कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी और अवमाननाकारी अवहेलना चिंताजनक है। अफसरों को सियासी दबाव के बजाए आम जनता की तकलीफ समझकर निष्पक्ष कार्रवाई करनी होगी। वे अन्य व्यस्तता का बहाना बनाकर आम जनता की समस्याओं से मुंह नहीं मोड़ सकते। यह उनकी असल जिम्मेदारी है। इसी समस्या पर महापौर गुस्सा भी दिखा चुकी हैं। उन्हें अफसरों से यहां तक कहना पड़ा, शहर की सड़कों से आवारा मवेशी तुरंत प्रभाव से हटा दिए जाएं वरना वे खुद सड़क पर उतरेंगी। आवारा मवेशी कम होने के बजाए और बढ़ गए, लेकिन अफसरों ने कुछ नहीं किया। हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करने वाले अफसरों पर सरकार सख्त कार्रवाई करे। सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी तरह की टकराव की स्थिति निर्मित न हो, इसलिए भी यह जरूरी है। सब तरफ से निराश लोगों को सिर्फ कोर्ट से ही राहत की उम्मीद बची है। यह भरोसा बना रहना चाहिए।

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