वायरल फीवर के मरीज भी घनी और निचली बस्तियों में ज्यादा मिल रहे है। पॉश इलाके में भी वायरल फीवर के केस आए हैं। गढ़ा, हनुमानताल, मिल्क स्कीम, भानतलैया, सदर, रांझी की कुछ बस्तियों में हर दूसरे-तीसरे घर में बुखार के मरीज निकल रहे हैं। बस्ती और परिवार में एक व्यक्ति के स्वस्थ्य होने के बाद दूसरे व्यक्ति को वायरल बुखार जकड़ रहा है। शहर में कोरोना के केस भी पहले घनी बस्तियों में ही ज्यादा संख्या में मिले थे। हाल में बारिश और कई निचली बस्तियों के जलमग्न होने से अब मच्छरजनित बीमारियों के फैलने का अंदेशा भी बढ़ गया है। मलेरिया जैसे लक्षण के साथ कुछ मरीज मिलने से संकेत मिल गए हैं।
मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार मौसम में परिवर्तन के बीच रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। वायरल बुखार और अन्य संक्रमण से पीडि़त होने पर इम्यून कमजोर होता है। कोरोना वायरस से लडऩे के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाए रखना जरुरी है। इसलिए अभी कुछ दिनों तक लोगों को ज्यादा संयम और सावधानी बरतने की जरुरत है। मास्क लगाने, बार-बार हाथ धोने के साथ ही दिनचर्या और आदतों को बदलकर संक्रमण से बचना होगा। बारिश एवं ठहरे पानी में पनपने वाले मच्छरों के हमले से बचाव करना होगा। दवा का छिड़कांव और साफ-सफाई रखना होगा।
डॉक्टर्स के अनुसार वायरल बुखार के केस बढ़ रहे हैं। ज्यादातर मरीजों को ठंड लगने के साथ हल्का बुखार आ रहा है। जांच में सर्दी-खांसी और निमोनिया जैसे लक्षण भी मिल हैं। वायरल फीवर होने पर चार से छह दिन तक बुखार आ रहा है। स्वस्थ्य होने के बाद कई दिन तक शारीरिक रुप से बेहद कमजोरी रह रही है। जांच में जिनमें संदिग्ध लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें कोरोना जांच कराने के लिए कहा जा रहा है। मेडिकल, विक्टोरिया अस्पताल सहित फीवर क्लीनिक्स में कुछ संदिग्धों का एहतियातन भी कोरोना जांच किया जा रहा है।