क्राइम ब्रांच और तिलवारा पुलिस के हत्थे 20 मार्च को आए दमोह निवासी अरविंद पांडे की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। 2018 में जैकब डोनाल्ड के अवैध शस्त्र लाइसेंस और असलहों की पटकथा में अरविंद पांडे भी एक किरदार था। गिरफ्तारी के कुछ दिन जेल में काटने के बाद जमानत पर निकलते ही वह फिर से अपने इसी नेटवर्क से जुड़ गया। इस बार उसके साथी बने जेल में रहे कटनी, हनुमानताल के युवक। ये लग्जरी कार से अवैध पिस्टल-कट्टा लेकर शहर में बेचने लाते थे।
अवैध हथियार तस्करी में लिप्त आरोपी जेल से छूटने के बाद फिर शुरू कर देते हैं अवैध असलहे की खरीद-फरोख्त
यह है स्थिति
2018 में-
पिस्टल/रिवॉल्वर-59
कट्टा-27
कारतूस-51
2019 में-
पिस्टल/रिवॉल्वर-64
कट्टा-35
कारतूस-68
2020 में-
पिस्टल/रिवॉल्वर-11
कट्टा-04
कारतूस-17
केस-01
20 मार्च 2020 को तिलवारा व क्राइम ब्रांच की टीम ने दमोह के शातिर तस्कर अरविंद पांडे और उसके पांच गुर्गों को दबोचा। छह पिस्टल व सात कारतूस जब्त किए।
केस-02
11 मार्च 2019 को एसटीएफ ने खंडवा-बुरहानपुर सीमा पर दो तस्करों गुरुनाम व गुरुचरण सिंह को 15 पिस्टल के साथ दबोचा था। दोनों जबलपुर में पिस्टल पहुंचाने निकले थे।
केस-03
वर्ष 2018 में जबलपुर क्राइम ब्रांच और गढ़ा पुलिस ने 26 पिस्टल व दो कट्टे के साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। सभी तस्कर दमोह से असलहा लेकर शहर में बेचने आए थे।
दमोह के तस्कर जबलपुर में 20 से 25 हजार में पिस्टल बेचते हैं। स्थानीय तस्कर इसे 30 से 35 हजार रुपए में आसपास के जिलों में बेच देते हैं। इस पूरे नेटवर्क में 20 से 35 वर्ष की उम्र वाले युवक लिप्त हैं। हैरान करने वाली बात कारतूसों की जब्ती को लेकर है। पूरे देश में कहीं भी अवैध तरीके से कारतूस नहीं बनाए जाते। जब्त कारतूस फैक्ट्री मेड होते हैं।
जबलपुर सहित पूरे महाकोशल क्षेत्र में अवैध कट्टा-पिस्टल खरीदने-बेचने के नेटवर्क में दमोह का कनेक्शन मिलेगा। इस नेटवर्क को तोडऩे में एसटीएफ की टीम भी लगी है।
– गणेश सिंह ठाकुर, निरीक्षक एसटीएफ
खरगोन, धार, खंडवा जिलों में 10 से 12 हजार में कट्टा और 15 से 20 हजार रुपए में पिस्टल मिल जाते हैं। क्राइम ब्रांच और थानों की टीम लगातार ऐसे लोगों की धरपकड़ करती रहती हैं।
– अमित सिंह, एसपी