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मगरमच्छों का प्राकृतिक रहवास है जबलपुर, सेंचुरी के नाम पर फूंक दिए करोड़ों

locationजबलपुरPublished: Nov 25, 2021 10:55:59 am

Submitted by:

Lalit kostha

मगरमच्छों का प्राकृतिक रहवास है जबलपुर, सेंचुरी के नाम पर फूंक दिए करोड़ों
 

crocodile

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जबलपुर। मोहन जोदारो फिल्म की शूटिंग के दौरान भेड़ाघाट में मगरमच्छ का मॉडल लाया गया था। लेकिन, नर्मदा नदी में शिव पिंडी से बंदरकूदनी के बीच 2 मगरमच्छ नजर आने के बाद जबलपुर सुर्खियों में आ गया है। कई साल बाद अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में मगरमच्छ देखा गया है। एक अनुमान के अनुसार परियट नदी में एक हजार से ज्यादा मगरमच्छ हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जबलपुर क्रोकोडाइल का प्राकृतिक रहवास है। इसलिए यहां क्रोकोडाइल पार्क के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

संरक्षण जरूरी: विभागीय गफलत, आकार नहीं ले सका प्रोजेक्ट
लम्बे समय बाद भेड़ाघाट में नजर आया है मगरमच्छ

शेड्यूल-1 का वन्यप्राणी है मगरमच्छ- मगरमच्छ शेड्यूल 1 का वन्यप्राणी है। परियट नदी में लगभग 12 किमी क्षेत्र में बड़ी संख्या में मगरमच्छ हैं। मटामर, घाना, सोनपुर और आसपास के गांवों में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। कई बार मगरमच्छ नदी से निकलकर इन गांवों के तालाबों में भी पहुंच जाते हैं। खंदारी जलाशय में भी मगरमच्छ हैं। परियट नदी में बड़ी संख्या में मगरमच्छ हैं, जो आए दिन तटवर्ती गांवों में आ जाते हैं। इससे ग्रामीणों और मवेशियों को खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने डर के कारण परियट नदी में नहाना बंद कर दिया है। भेड़ाघाट में भी मगरमच्छ देखे जाने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि नर्मदा नदी में पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर इनका रेस्क्यू करना होगा, जिससे मगरमच्छों को सुरक्षित स्थल में पहुंचाया जा सके। इसके लिए क्रोकोडाइल पार्क ही सही
विकल्प है।

 

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फेंसिंग तक सिमटा काम
परियट नदी में क्रोकोडाइल पार्क विकसित करने के लिए प्रदेश शासन को 2 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा गया था। 2011-12 में वन विभाग को इसके लिए 65 लाख रुपए मिले थे। इस राशि से मटामर, घाना, सोनपुर में फेंसिंग ही की जा सकी है। जबकि नदी के 12 किमी क्षेत्र में जिन स्थानों पर मगरमच्छ हैं, वहां एक ओर फैक्ट्री और दूसरी ओर खेत हैं। नदी के तट पर पूरी फेंसिंग की जाना थी पर ठीक ढंग से काम नहीं किया गया। स्टाप डैम, पिकनिक स्पॉट बनाए जाने थे पर इस दिशा में भी कोई काम नहीं किया गया।

ऐसे हुई थी शुरुआत
22 मइर्, 1997 को विनाशकारी भूकं प आया था। प्रशासन राहत कार्य में जुटा था। इसका फायदा उठाकर परियट के किनारे कुछ लोग जंगल में कटाई कर रहे थे। इसी दौरान नदी के किनारे पहली बार मगरमच्छ देखा गया था। इसके बाद 2004 में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम के सर्वे में पता चला कि 200 साल से भी ज्यादा समय से परियट मगरमच्छों का प्राकृतिक रहवास है। इसके बाद मगरमच्छों के संरक्षण के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। वर्ष 2006 में चीफ जस्टिस एके पटनायक ने सुनवाई के बाद डीएफओ से मगरमच्छ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों की जानकारी मांगी। इसके बाद मगरमच्छ संरक्षण का प्रस्ताव भेजा गया।

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ये है स्थिति
1997 में परियट नदी में पहली बार दिखा था मगरमच्छ
01 हजार से ज्यादा मगरमच्छ हैं परियट नदी में
35 साल पहले भेड़ाघाट में हुआ था विशालकाय मगरमच्छ का शिकार
200 साल साल से परियट में मगरमच्छ होना पाया गया सर्वे में
2004 में परियट में हुआ था सर्वे
2006 में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके पटनायक के समक्ष रखा गया था मामला
2009 में कोर्ट ने शेड्यूल 1 के प्राणी मगरमच्छ को सुरक्षित करने का आदेश पारित किया
2011-12 में क्रोकोडाइल पार्क के लिए मिले 65 लाख रुपए

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