scriptPM रोजगार योजना के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी, जानें विस्तार से… | Crores of fraud in name of PM employment scheme in Jabalpur | Patrika News

PM रोजगार योजना के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी, जानें विस्तार से…

locationजबलपुरPublished: Nov 26, 2021 11:00:37 am

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-बैंककर्मियों की मिलीभगत का आरोप-PM रोजगार योजना के नाम पर 20 मजदूरों के नाम पर लिया भारी भरकम लोन

PM रोजगार योजना के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी

PM रोजगार योजना के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी

जबलपुर. PM रोजगार योजना के नाम धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि बैंककर्मियों की मिलीभगत से करीब 20 मजदूरों के नाम पर मोटी रकम निकाल ली गई। धोखाधड़ी के इस खेल का खुलासा तब हुआ जब बैंक ने उन मजदूरों के नाम ईएमआई का नोटिस भेजा। अब ये मामला सामने आने के बाद पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने मामले की जांच सीएसपी तुषार सिंह को सौंपी है।
बताया जा रहा है कि जालसाजों ने मेहनतकश मजदूरों को जाल में फंसा कर उनके नाम से लोन की मंजूर करा कर करोड़ों रुपये हड़प लिए। इसका खुलासा तब हुआ जब एक मजदूर को ईएमआई का नोटिस मिला। बताया गया कि मजदूर के नाम पर 75 लाख रुपये का लोन लिया गया है। बैंक से ये नोटिस आईटीआई निवासी नरेंद्र सिंह ठाकु के नाम जारी हुआ था। पीड़ित नरेंद्र के मुताबिक वह गाड़ियों की धुलाई (सर्विसिंग) करता है। उसके कई अन्य जनापहचान वाले भी हैं जो इसी पेशे से जुड़े हैं। बताया कि करीब चार साल पूर्व गाड़ियों की धुलाई के दौरान ही उसकी मुलाकात शांतिनगर निवासी व रिछाई में मिल चलाने वाले सुरेश मतानी से हुई।
बकौल नरेंद्र जनवरी 2020 में मिल संचालक ने उसे बैंक से रोजगार योजना के तहत लोन दिलाने की बात कही। ये भी बताया कि लोन अपनी पत्नी के नाम लेने पर ब्याज कम देना होगा। इस तरह से उसने अपनी पत्नी, छोटे भाई और उसकी पत्नी की आईडी मिल संचालक को सौंप दिए। नरेंद्र का कहना है कि मिल संचालक ने अन्य साथियों को भी इसी तरह से लोन दिलाने का प्रलोभन दिया। इस पर करीब 20 साथियों को मिल संचालक को मिलवाया। इस तरह उन साथियों और उनकी पत्नियों की आईडी भी उसने हासिल कर लिए। इस बीच कोरोना काल आ गया और देश भर में लॉकडाउन लग गया। बैंक बंद हो गए। तब संचालक ने बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद काम हो जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद उसने बताया कि लोन नहीं मिल पाएगा। इस पर जब हम सब ने अपनी आईडी मांगी तो उसने सभी की आईडी नहीं लौटाई।
इस तरह से उस मिल संचालक ने मजदूर सोनी, प्रियंका ठाकुर, सुभाष ठाकुर, ज्योति ठाकुर सहित करीब एक दर्जन मजदूरों के नाम पर करोड़ों रुपये का लोन स्वीकृत करा लिया। सभी को सब्सिडी भी मिलीं। लेकिन उसमें मजदूरों को फूटी कौड़ी नहीं मिली। सारा पैसा मिल संचालक ने हड़प लिया। नरेंद्र सिंह का कहना है कि मजदूरों के नाम स्वीकृत लोन की राशि ज्योति फूड्स रजिस्टर में ट्रांसफर की गई है। उसे यह जानकारी नहीं कि उक्त फर्म का संचालक कौन है। बैंक से स्वीकृत लोन की जानकारी किसी भी मजदूर को नहीं थी। मिल संचालक ने पहचान संबंधी दस्तावेज (आईडी) लेने के बाद 4-5 मजूदरों को बैंक जरूर बुलाया था, कहा था किसी कागज पर हस्ताक्षर करना है।
बताया जा रहा है कि मिल संचालक ने भारती सोनी के नाम 23 लाख 75 हजार, (8 लाख 75 हजार सब्सिडी) तथा प्रियंका ठाकुर, सुभाष सिंह ठाकुर और ज्योति ठाकुर के नाम पर 25-25 लाख रुपए का लोन रोजगार योजना के नाम पर स्वीकृत कराया। ऐसे ही 12 मजदूरों के नाम पर करोड़ों रुपए का लोन स्वीकृत कराया गया है। इसमें सब्सिडी भी दी गई है। लेकिन मजदूरों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ। सारा पैसा मिल संचालक ने ही हड़प लिया।
ये मामला तब खुला जब बैंक से लोन के एवज में ईएमआई का नोटिस जारी हुआ। ऐसा ही एक नोटिस नरेंद्र को भी मिला जिसे देखते ही वह सदमें बीमार पड़ गया। बताया जा रहा है कि नरेंद्र के नाम पर 75 लाख रुपये का लोन स्वीकृत हुआ है, जिसका उसे कुछ भी पता नहीं।
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