पांच घंटे जीसीएफ में रही एसआइटी
हत्याकांड की जांच के लिए गठित एसआइटी टीम शुक्रवार को जीसीएफ पहुंची। टीम पांच घंटे तक जीसीएफ में थी। यहां महाप्रबंधक रजनीश जौहरी से धनुष तोप में खटुआ को लेकर चल रही सीबीआइ जांच के बारे में जानकारी ली। इसके बाद टीम ने इंजीनियरिंग सेक्शन और प्रोक्योरमेंट सेक्शन में पहुंची। दोनों ही विभागों में खटुआ के साथ काम कर चुके लोगों के बयान लिए गए। टीम ने पत्नी की बीमारी के चलते लम्बे अवकाश पर रहे मटेरियल वक्र्स विभाग में वक्र्स मैनेजर प्रशांत प्रसन्ना के बयान दर्ज किए। प्रसन्ना भी उन 32 लोगों में शामिल है, जिससे सीबीआइ धनुष तोप बेयरिंग प्रकरण में पूछताछ कर चुकी है। दो दिन पहले ही प्रसन्ना ड्यूटी पर लौटे हैं। प्रसन्ना प्रोक्योरमेंट और इंजीनियरिंग सेक्शन में खटुआ के वरिष्ठ रह चुके हैं। इसके अलावा एसआइटी ने न्यू कॉलोनी पहुंच कर खटुआ के पड़ोसियों के भी बयान दर्ज किए।
सीसीटीवी फुटेज ले गई टीम
एसआइटी ने जीसीएफ में लगे विभिन्न सीसीटीवी फुटेज भी ले गयी है। फुटेज खटुआ और उनके साथ नजर आने वालों से सम्बंधित हैं। एसआइटी ने सीबीआइ द्वारा धनुष तोप बेयरिंग प्रकरण में जब्त कुछ दस्तावेजों को लेकर सीबीआइ से भी जानकारी मांगी है।
पत्नी का मोबाइल चला रहे थे खटुआ
खटुआ का मोबाइल दिल्ली सीबीआइ 10 जनवरी को ही जब्त कर साथ ले गयी थी। तब से वह पत्नी मौसमी का मोबाइल प्रयोग कर रहे थे। उनके मोबाइल पर कोलकाता, ओडि़सा और कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत के रेकॉर्ड मिले हैं। इन नम्बरों का सीडीआर अब तक एसआइटी को नहीं मिल पाया है।
संवेदनशील और सनसनीखेज हत्याकांड, फिर भी हर कदम पर पुलिस करती रही चूक
गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में जूनियर वक्र्स मैनेजर एससी खटुआ की हत्या प्रकरण में पुलिस पहले दिन से चूक करती रही। पहले उसकी गुमशुदगी को गम्भीरता से नहीं लिया गया। लाश मिलने के बाद पुलिस अधिकारी उसे आत्महत्या बताते रहे। पीएम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि के बाद पुलिस गम्भीर हुई। घटनास्थल पर बिखरे साक्ष्य तक नहीं बटोरे जा सके। अब तक पुलिस अपनी जांच की दिशा तक नहीं तय कर पायी है। शुरुआती लापरवाही बताकर एएसआइ को निलम्बित कर दिया गया, लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी को छोड़ दिया गया।
सिर पर वार के बाद तीन घंटे तक जिंदा थे खटुआ
खटुआ के पीएम रिपोर्ट से एक और चौंकाने वाली जानकारी मिली है। खटुआ के सिर पर जिस तरह का वार किया गया था, उससे उनकी तुरंत मौत नहीं हुई थी। लगभग तीन घंटे बाद अधिक रक्तस्राव के चलते मौत की पुष्टि हुई है।
चूक एक-
17 जनवरी को सुबह से गायब खटुआ की गुमशुदगी देर रात दर्ज की गई, जबकि पत्नी रात सात बजे ही थाने पहुंची थी।
चूक दो-
पत्नी मौसमी के मुताबिक शुरुआती तीन दिन तक उन्हें रिश्तेदारों और परिचितों के घर खोजने को कहा गया।
चूक तीन
केवी-1 के सामने लगे सीसीटीवी में फुटेज मिलने और मोबाइल का आखिरी टॉवर लोकेशन पचपेढ़ी मिलने के बाद भी इस क्षेत्र में नहीं तलाशा गया।
चूक चार-
खटुआ मोपेड से निकले थे। कहीं बाहर जाते तो मोपेड खड़ी कर जाते। मोपेड तलाशी गई होती तो पहले ही प्रकरण खुल जाता।
चूक पांच-
धनुष तोप में सीबीआइ जांच की जद में आए अधिकारी के गायब होने जैसे हाइप्रोफाइल प्रकरण में एसपी ने गंभीरता नहीं दिखायी। दो फरवरी को क्राइम ब्रांच को जांच ट्रांसफर की।
चूक छह-
05 फरवरी को खटुआ की लाश पाटबाबा की पहाड़ी के पीछे पत्थरों के खोह में मिली। दोपहर ढाई बजे मोपेड मिल गयी थी, लेकिन डॉग स्क्वॉड नहीं बुलाया गया।
चूक सात-
घटनास्थल पर एफएसएल टीम अंधेरा होने पर पहुंची। जिसकी वजह से वहां बिखरे साक्ष्य तक एकत्र नहीं कर पायी।
चूक आठ-
खटुआ का मोबाइल मोपेड की डिक्की में ही पड़ा रहा, जिसे पुलिस को बरामद करने में दो दिन लग गए।
चूक नौ-
खटुआ 17 जनवरी से लापता हैं, लेकिन उनके सम्पर्क में रहे लोगों का सीडीआर अब तक पुलिस नहीं निकलवा पायी है।