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child malnutrition in MP: इस जिले में मिले 24 हजार कुपोषित बच्चे, मच गया हड़कंप

locationजबलपुरPublished: Jan 09, 2018 09:37:58 am

Submitted by:

deepankar roy

सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी नहीं बदल रही तस्वीर

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जबलपुर। देश से कुपोषण मिटाने के लिए सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। पोषण आहार से लेकर तमाम योजनाएं संचालित की जा रही है। उसके बावजूद मध्यप्रदेश के एक जिले से तो ताजा रिपोर्ट सामने आयी है वह चौंकाने वाली है। एक सर्वे में यहां हजारों बच्चों कुपोषण के शिकार मिले है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। कुपोषण मिटाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का क्रियान्वयन भी संग्धि हो गया है।

डेढ़ हजार बच्चों का वजन बेहद कम
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार बच्चों के वजन को लेकर एक अभियान चलाया गया था। इस अभियान की रिपोर्ट के अनुसार जिले में कम वजन के बच्चों की संख्या लगभग 24 हजार है। चिंताजनक बात ये है कि इसमें करीब डेढ़ हजार बच्चे अति कम वजन के हैं। ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हंै। इससे करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कुपोषण से छुटकारा नहीं मिलने की बात सामने आ रही है। वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग की मानें तो छह महीने में कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग पांच सौ कम हुई है।

पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी)
09 हैं जिले में
110 सीट हैं
14 दिन रखा जाता है कुपोषित बच्चों व उनकी मां को
100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मां को दी जाती है राशि
2483 आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी संचालित
01 लाख 70 हजार बच्चों को दिया जा रहा पोषण आहार

यह है स्थिति
23840 कम वजन के बच्चे
1437 अति कम वजन के
१६८८२७ बच्चों का सर्वे
0 से 5 साल तक के बच्चों का लिया गया वजन
1900 बच्चे थे अति कम वजन के छह महीने पहले

एेसे किया जाता है कुपोषण का आंकलन
बच्चों के वजन के आधार पर
लम्बाई के आधार पर
बांह का नाम लेकर
कमजोरी व अन्य
लक्षण के आधार पर

पोषण आहार की व्यवस्था
03 से 06 साल तक के बच्चों को दिया जाता है पका भोजन
01 करोड़ के लगभग है मासिक बजट
1232 समूह सम्भालते हैं भोजन व्यवस्था
03 साल तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं व किशोरी बालिकाओं को दिया जाता है टेक होम राशन

कम हुई है संख्या
महिला एवं बाल विकास विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारी मनीष शर्मा के अनुसार कुपोषण दूर करने के लिए पोषण आहार वितरण की निगरानी व्यवस्था को और दुरुस्त करने पर फोकस कर रहे हैं। इसके अलावा आंगनबाडि़यों में बच्चों की उपस्थिति नियमित करने भी परियोजना स्तर के अधिकारियों से लेकर सभी कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है। छह महीने में कुपोषित बच्चों की संख्या जिले में कम हुई है।

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