एसडीएम के सामने आमसभा
दलित महासभा की रैली गौरी तिराहा से प्रारम्भ हुई। भूमिहीन आदिवासियों की रैली में हाथो में लाठियां लिए दलित महिलाए जय भीम का नारा लगाते हूए चल रही थीं। रैली सिहोरा एसडीएम कार्यालय पहूंची। एसडीएम कार्यालय के बाहर महिलाओं और पुरुषों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। यहीं, आमसभा का भी आयोजन किया गया। जिसमें दलित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय भारतीय ने कहा कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार गरीब, दलितों और आदिवासियों के साथ सिर्फ छलावा कर रह है। एक साल में प्रदेश में अपनी भूमि पर काबिज आदिवासी परिवारों को न तो पट्टे दिए गए और न उनका हक।
दलित महासभा की रैली गौरी तिराहा से प्रारम्भ हुई। भूमिहीन आदिवासियों की रैली में हाथो में लाठियां लिए दलित महिलाए जय भीम का नारा लगाते हूए चल रही थीं। रैली सिहोरा एसडीएम कार्यालय पहूंची। एसडीएम कार्यालय के बाहर महिलाओं और पुरुषों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। यहीं, आमसभा का भी आयोजन किया गया। जिसमें दलित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय भारतीय ने कहा कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार गरीब, दलितों और आदिवासियों के साथ सिर्फ छलावा कर रह है। एक साल में प्रदेश में अपनी भूमि पर काबिज आदिवासी परिवारों को न तो पट्टे दिए गए और न उनका हक।
यहां सर्वे तक नहीं
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष केशकली कोल ने बताया कि रीवा जिले में सरकारी भूमि पर काबिज आदिवासी, गरीब परिवारों को पट्टे दिए जा रहे हैं, लेकिन जबलपुर जिले में अभी तक सर्वे तक का काम शूरू नही हुआ। सरकार की कथनी और करनी में अन्तर है। दलित आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष केशकली कोल ने बताया कि रीवा जिले में सरकारी भूमि पर काबिज आदिवासी, गरीब परिवारों को पट्टे दिए जा रहे हैं, लेकिन जबलपुर जिले में अभी तक सर्वे तक का काम शूरू नही हुआ। सरकार की कथनी और करनी में अन्तर है। दलित आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
ये हैं प्रमुख मांगे
महासभा के जिला अध्यक्ष गौरी शंकर साकेत ने बताया कि हर भूमिहीन, गरीब, दलित आदिवासी समाज की महिलाओं को पांच एकड़ भूमि दी जाए। सरकार अपने खर्चें पर जमीनें अधिग्रहित या खरीदकर कर भूमिहीनों को बांटे। जो जहा पर सरकारी जमीन पर बसा है, उसे उतनी जमीन का आवासीय पटटा दिया जाए। वन अधिकार क़ानून के तहस आदिवासियों जमीन पर हक तुरन्त स्वीकार किया जाए।
महासभा के जिला अध्यक्ष गौरी शंकर साकेत ने बताया कि हर भूमिहीन, गरीब, दलित आदिवासी समाज की महिलाओं को पांच एकड़ भूमि दी जाए। सरकार अपने खर्चें पर जमीनें अधिग्रहित या खरीदकर कर भूमिहीनों को बांटे। जो जहा पर सरकारी जमीन पर बसा है, उसे उतनी जमीन का आवासीय पटटा दिया जाए। वन अधिकार क़ानून के तहस आदिवासियों जमीन पर हक तुरन्त स्वीकार किया जाए।