जानकारी के मुताबिक पिछले 6-7 महीने में डेंगू के 10 से ज्यादा केस जबलपुर में मिल चुके हैं। बावजूद इसके मलेरिया विभाग सोता रहा। हालांकि शहर के सिंधी कैंप व घंटाघर इलाके में डेंगू के केस मिलने के बाद मलेरिया विभाग ने मच्छर मारने का अभिया शुरू किया है।
डेंगू के दो मरीज सामने आने के बाद जिला मलेरिया विभाग ने लार्वा का पता लगाने के लिए सर्वे शुरू कर दिया है। डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर मच्छरों के लार्वा मिल रहे हैं। कूलर, छत पर रखी टंकियों, गमलों में मिले लार्वा को नष्ट कराया गया। घंटाघर के समीप नगर निगम द्वारा निर्माणाधीन भवन परिसर के गड्ढों में भरे पानी में भी डेंगू वाले मच्छर के लार्वा मिले हैं।
अब जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. आरके पहारिया ने बताया है कि डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी भर जाता है। इन गड्ढों, डबरों में जमा पानी में मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ती है। घर के कूलर, फ्रिज, एसी, गमला, टंकी आदि में लंबे समय तक पानी जमा रहने से मच्छरों का खतरा बढ़ता है। लिहाजा समय-समय पर इनकी सफाई करते रहना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि ज्यादा दिनों तक कहीं पानी इकट्टा न रहे।
कोरोना काल में डेंगू व मच्छरों के काटने से होने वाली अन्य बीमारियां खतरा बढ़ा सकती हैं। विक्टोरिया अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके वर्मा ने बताया कि कोविड-19 के ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें मरीज एक से ज्यादा रोगों से पीड़ित पाया गया। डॉ वर्मा का कहना है कि अभी कोरोना का खतरा पूरी तरह नहीं टला है। तीसरी लहर की आशंका बराबर बनी है, ऐसे में बच्चों को बचाए रखना निहायत जरूरी है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुरारिया का कहना है कि बरसात का सीजन शुरू होते ही मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके मद्देनजर ही मच्छरों को नष्ट करने का अभियान चलाया जाता है। साथ ही लोगों को इस संबंध में जागरूक किया जाता है। उन्होंने कहा है कि बीते वर्षों की तुलना में 2020-2021 में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया का खतरा कम हुआ है। डेंगू के दो मरीज मिलने पर संबंधित क्षेत्रों में दवा का छिड़काव कराया गया। लार्वा विनष्टीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं।