उल्लेखनीय है कि जिले में बीते सालों में 72 खरीदी केन्द्र बनाए जाते रहे हैं, इस वर्ष व्यवस्था में बदलाव करते हुए विपणन समितियों को गेहूं खरीदी के काम से अलग करते हुए अन्य जिन्सों की खरीदी का दायित्व सौंपा है। जिसके कारण अब 64 खरीदी केन्द्रों पर समर्थन मूल्य पर खरीदी हो रही है। विपणन समितियों के कार्यालय में पंजीयन कराने
वाले किसान अपनी उपज बेचने के लिए भटक रहे हैं, वहीं सहकारी समितियों में मर्ज होने की वजह से इन समितियों पर भी बोझ बढ़ गया है।
17 केन्द्रों से माल का उठाव नहीं किया जा रहा है
डीएमओ कार्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खरीदी के बाद एकत्र हो रही उपज को सीधे रैक के माध्यम से अन्यत्र भेजे जाने की व्यवस्था की जाना है। इसी वजह से 17 खरीदी केन्द्रों से माल का उठाव नहीं किया जा रहा है। समितियों के पास लगातार हो रही आवक की वजह से अब खरीदी हुई उपज रखने के लिए जगह नहीं बच रही है और तुलाई का काम भी प्रभावित हो रहा है।
परेशानी बढ़ गई है
जिला मुख्यालय के आसपास के एक दर्जन से अधिक ग्रामों के किसानों की उपज बीते साल तक मंडी प्रांगण में बनने वाले खरीदी केन्द्र में तुलाई होती रही है। इस बार इस केन्द्र को समाप्त करके जरजोला स्थित गोदाम वाले केन्द्र से जोड़ दिया है। इस स्थिति के कारण दो सोसायटी के किसानों की उपज को एक ही स्थान पर तुलाई होने की वजह से परेशानी बढ़ गई है। ऐसा ही हाल अन्य मर्ज किए गए खरीदी केन्द्रों के किसानों का हो रहा है।
सुविधाओं पर ध्यान देने निर्देशित किया गया था
अधिकारियों की बैठकों में राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी किसानों की सुविधाओं पर ध्यान देने निर्देशित किया गया था, साथ ही उपार्जन के बाद खाद्यान्न के भंडारण की भी उचित व्यवस्था, खाद्यान्न खरीदी के लिए किसानों के रजिस्टर्ड मोबाइल पर समय एसएमएस भेजने, केंद्र पर पीने का पानीए, छाया तथा भोजन की सुविधा भी उपलब्ध कराने, परिवहन में कठिनाई आने पर निजी ट्रांसपोर्टर की मदद लेने जैसे निर्देश हवाहवाई साबित हो रहे हैं। इस संबंध में डीएमओ देवेन्द्र यादव का कहना है कि रैक के माध्यम से गेहूं का भंडारण अन्यत्र किए जाने के लिए एफसीआई के अधिकारियों ने कहा था। इसी आधार पर कुछ केन्द्रों पर परिवहन नहीं करते हुए सीधे रैक के लिए गेहूं उठाने की व्यवस्था की गई है। जहां ज्यादा गेहूं इकट्ठा हो रहा है, उसका परिवहन कराने की व्यवस्था भी की जा रही है।