तो मार्च 2019 में ही खुल गया होता प्रकरण
शहर में महज हजार रुपए से लेकर 1500 रुपए में आईएमईआई नम्बर चेंज कर देते हैं। इससे पहले मदन महल की पुलिस ने 31 मार्च 2019 को इसी जयंती कॉम्प्लेक्स में दबिश देकर मां मोबाइल दुकान के संचालक सिंधी कैम्प निवासी आकाश को दबोचा था। उसके यहां से 12 डोंगल हार्डवेयर जब्त हुए थे। एक डोंगल 10 से 15 हजार में आता है। इस डोंगल साफ्टवेयर को डेस्क्टॉप से जोडकऱ वह सॉफ्टवेयर में प्रॉब्लम आने वाले या रिपेयरिंग वाले मोबाइलों का आईएमईआई नम्बर सेव कर लेता था। बाद में वह इस डाटा का उपयोग दूसरे मोबाइल का आईएमईआई नम्बर बदलने में करता था।
इस कारण खतरनाक है यह देश की सुरक्षा के लिए
मोबाइल के आईएमईआई नंबर करप्ट होने या बदलते ही उसकी यूनिवर्सल आईडेंटिट भी खत्म या बदल जाती है। ऐसे में पुलिस किसी भी अपराधी को ट्रेस नहीं कर पाएगी। किसी भी अपराध में आईएमईईआई नम्बर से ही मोबाइल को ट्रेस किया जाता है। यहां तो एक लाख मोबाइल फोन एक ही आईएमईआई पर चल रहे है। यह देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है। केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2017 को अधिसूचना जारी कर इसे दंडनीय अपराध बनाया है। ऐसा करने पर आरोपी को तीन वर्ष व अर्थदंड की सजा का प्रावधान है।
आगे की यह कार्रवाई की जा रही-
आईजी विवेक शर्मा की ओर से 50 हजार से अधिक मोबाइलों और उसमें चल रहे विभिन्न कम्पनियों के सिम आदि का ब्यौरा पुलिस मुख्यालय भोपाल के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय और टेलीकॉम मिनिस्ट्री को भेजी गई है। राष्ट्रीय स्तर पर सीईआईआर (सेंट्रल एक्यूपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर) में इस तह के समान आईएमईईआई नम्बर ब्लैकलिस्टेड कराने का प्रावधान है। इसके बाद सभी मोबाइल खिलौने बन जाएंगे।
इन बिंदुओं पर जांच जारी-
-आईएमईईआई नम्बर बदलवाने वाले एक लाख लोगों में कौन से लोग हैं और उनका क्या बैकग्राउंड है।
-एक ही कम्पनी (वीवो) से मामला जुड़ा होने की वजह से कम्पनी अधिकारियों को भी नोटिस जारी होगा।
-सभी मोबाइलों में डेमो आईएमईआई का उपयोग किया गया है। यह डेमो आईएमईआई किसने उपलब्ध कराया।
-कम्पनी सर्विस सेंटर के फरार कर्मी कब से इस तरह के अवैध कृत्य में लगा है।
-देश भर में कैसे