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देश की सुरक्षा में बड़ी चूक, एमपी सहित पूर्वोत्तर राज्यों में फैला है नेटवर्क

locationजबलपुरPublished: Nov 08, 2019 11:26:41 am

Submitted by:

santosh singh

IMEI:शहर में आईएमईआई नम्बर बदलने का बड़ा खेल, महज 1500 में बदल देते थे, भोपाल पुलिस मुख्यालय से गृह मंत्रालय और टेलीकॉम विभाग को भेजी गई रिपोर्ट

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जबलपुर. मोबाइल के आईएमईआई (यूनिक इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटिटी) नम्बर से ही लूट, हत्या, चोरी व अपहरण जैसे मामले में सायबर सेल पता लगाती है। पर जिस तरह से शहर में धड़ल्ले से आईएमईआई नम्बर बदलने का खेल चल रहा है, उसने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है। आईजी जोन की साइबर सेल ने जयंती कॉम्प्लेक्स स्थित दुकान संचालक प्रदीप ठाकुर को गिरफ्तार कर देश भर में एक ही डेमो आईएमईआई नम्बर से संचालित एक लाख से अधिक मोबाइल संचालित होने का खुलासा किया, उससे देश भर की सुरक्षा एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं। अब प्रकरण भोपाल पुलिस मुख्यालय से देश के गृह विभाग और टेलीकॉम मंत्रालय तक पहुंच गया है।
केस-एक
31 मार्च 2019 को लार्डगंज, मदनमहल व ओमती पुलिस ने संयुक्त रूप से जयंती कॉम्प्लेक्स में मां मोबाइल दुकान के संचालक सिंधी कैम्प निवासी आकाश को दबोचा था। वह लूट के मोबाइल का आइएमइआइ नम्बर बदल देता था।
केस-दो
16 सितम्बर 2018 को गोहलपुर पुलिस ने मिलौनीगंज मछली मार्केट के पीछे केजीएन मोबाइल शॉप में दबिश देकर संचालक नवी अहमद केा दाबेचा था। वह चोरी के मोबाइलों का आईएमईआई नम्बर बदल देता था।
केस-तीन
05 नवम्बर 2017 को क्राइम ब्रांच ने शीतलामाई में प्रतीक मोबाइल नाम से दुकान चलाने वाले घमापुर निवासी ऋषि चौरसिया को गिरफ्तार किया था। वह चाइनीज सॉफ्टवेयर से आइएमइआइ नम्बर बदल देता था।
सर्विस सेंटर का कर्मी फरार
आईजी विवेक शर्मा के साथ प्रेसवार्ता में मौजूद एसपी अमित सिंह व एएसपी क्राइम शिवेश सिंह बघेल ने बताया कि आरोपी प्रदीप ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद सर्चिंग में सामने आए 125 मोबाइलधारकों को बुलाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि इन मोबाइलों में कुछ की रिपेयरिंग सर्विस सेंटर और मोबाइल रिपेयरिंग शॉप में कराई गई थी। कुछ सेट लोगों को गिरे मिले थे तो कुछ ने सेकेंड हैंड खरीदा था। प्रदीप को आईएमईईआई बदलने का सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने वाले वीवो मोबाइल सर्विस सेंटर के फरार कर्मी से इस हाइप्रोफाइल प्रकरण में और खुलासे की उम्मीद है।
एक ही डेमो आईएमईआई का प्रयोग कर एक लाख से अधिक मोबाइलों की पहचान बदली गई?्र

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तो मार्च 2019 में ही खुल गया होता प्रकरण
शहर में महज हजार रुपए से लेकर 1500 रुपए में आईएमईआई नम्बर चेंज कर देते हैं। इससे पहले मदन महल की पुलिस ने 31 मार्च 2019 को इसी जयंती कॉम्प्लेक्स में दबिश देकर मां मोबाइल दुकान के संचालक सिंधी कैम्प निवासी आकाश को दबोचा था। उसके यहां से 12 डोंगल हार्डवेयर जब्त हुए थे। एक डोंगल 10 से 15 हजार में आता है। इस डोंगल साफ्टवेयर को डेस्क्टॉप से जोडकऱ वह सॉफ्टवेयर में प्रॉब्लम आने वाले या रिपेयरिंग वाले मोबाइलों का आईएमईआई नम्बर सेव कर लेता था। बाद में वह इस डाटा का उपयोग दूसरे मोबाइल का आईएमईआई नम्बर बदलने में करता था।
इस कारण खतरनाक है यह देश की सुरक्षा के लिए
मोबाइल के आईएमईआई नंबर करप्ट होने या बदलते ही उसकी यूनिवर्सल आईडेंटिट भी खत्म या बदल जाती है। ऐसे में पुलिस किसी भी अपराधी को ट्रेस नहीं कर पाएगी। किसी भी अपराध में आईएमईईआई नम्बर से ही मोबाइल को ट्रेस किया जाता है। यहां तो एक लाख मोबाइल फोन एक ही आईएमईआई पर चल रहे है। यह देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है। केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2017 को अधिसूचना जारी कर इसे दंडनीय अपराध बनाया है। ऐसा करने पर आरोपी को तीन वर्ष व अर्थदंड की सजा का प्रावधान है।
आगे की यह कार्रवाई की जा रही-
आईजी विवेक शर्मा की ओर से 50 हजार से अधिक मोबाइलों और उसमें चल रहे विभिन्न कम्पनियों के सिम आदि का ब्यौरा पुलिस मुख्यालय भोपाल के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय और टेलीकॉम मिनिस्ट्री को भेजी गई है। राष्ट्रीय स्तर पर सीईआईआर (सेंट्रल एक्यूपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर) में इस तह के समान आईएमईईआई नम्बर ब्लैकलिस्टेड कराने का प्रावधान है। इसके बाद सभी मोबाइल खिलौने बन जाएंगे।
इन बिंदुओं पर जांच जारी-
-आईएमईईआई नम्बर बदलवाने वाले एक लाख लोगों में कौन से लोग हैं और उनका क्या बैकग्राउंड है।
-एक ही कम्पनी (वीवो) से मामला जुड़ा होने की वजह से कम्पनी अधिकारियों को भी नोटिस जारी होगा।
-सभी मोबाइलों में डेमो आईएमईआई का उपयोग किया गया है। यह डेमो आईएमईआई किसने उपलब्ध कराया।
-कम्पनी सर्विस सेंटर के फरार कर्मी कब से इस तरह के अवैध कृत्य में लगा है।
-देश भर में कैसे

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