यह है मामला
याचिका बीडीएस स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गई। कहा गया कि उन्होंने 2018-19 में बीडीएस कोर्स में प्रवेश लिया। लेकिन डीसीआई ने राज्य स्तर की काउंसिलिंग प्रक्रिया के जरिए प्रवेश न लेने के चलते उनके प्रवेश निरस्त करने का आदेश जारी किया। जबलपुर के अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता व प्रेरणा प्रियदर्शिनी ने तर्क दिया कि संंबंधित डेंटल कॉलेजों ने संस्था स्तर पर की गई विधिवत काउंसिलिंग के जरिए उन्हें दाखिले दिए थे। वह भी तब, जबकि राज्य स्तरीय काउंसिलिंग में इन कॉलेजों की सीटें खाली रह गई थीं। प्रवेश निरस्त करने से छात्रों का भविष्य बरबाद हो जाएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट सुन सकता है मसला
सुनवाई के दौरान डीसीआई की ओर से आपत्ति जताई गई कि इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की जानी चाहिए थी। जानबूझकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का रवैया फोरम शॉपिंग है। कोर्ट ने यह आपत्ति इस टिप्पणी के साथ नामंजूर कर दी कि डीसीआई नई दिल्ली ने एडमिशन निरस्त करने का आदेश जारी किया है। इसलिए याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में सुनी जा सकती है।