जबलपुर। कहने को तो अब वीरान हवेलियों की कहानियां बीती बातें हो गईं। लेकिन, जबलपुर शहर की घनी बस्तियों में तमाम जर्जर इमारतें वीरान हवेलियों की याद कर रही हैं। इस समय बारिश जोरों पर है। ऐसे में जर्जर मकान जान का खतरा बन सकते हैं। नगर निगम की ओर से जर्जर मकानों को तोडऩे के लिए लम्बे समय से लापरवाही बरती जा रही है। नगर निगम प्रशासन ने केवल भवन स्वामियों को चेतावनी देकर इतिश्री कर ली थी। नगर निगम ने जर्जर मकानों को चिन्हित तो कर लिया है, लेकिन उन्हें आज तक गिराया नहीं गया। शहर में ऐसे करीब 80 के लगभग मकान है जो कि जर्जर हालात में हैं जो कभी भी जानमाल के लिए खतरा बन सकते हैं। शहर में ऐसे जर्जर मकानों की संख्या 80 से 90 के बीच है। जो शहर के मध्य सघन इलाकों में बने हुए हैं। इसमें कुछ सरकारी भवन भी शामिल हैं जो कि खंडहर हो चुके हैं।
इन क्षेत्रों में जर्जर भवन
हनुमानताल वार्ड के अंतर्गत शुक्रवारी बजरिया, शीतला माई वार्ड में बाई का बगीचा, प्रेम सागर पुलिस चौकी के पास, तमरहाई स्कूल के पास, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद वार्ड, खाई मोहल्ला , गोविंद वल्लभ पंत वार्ड अंतर्गत बधैलया मोहल्ला, मिलौनीगंज, इंदिरा गांधी वार्ड अंतर्गत गढ़ा, बैदराना मोहल्ला, त्रिपुरी आदि स्थानों पर जर्जर मकान स्थित हैं।
नोटिस जारी कर भूला प्रशासन
जर्जर मकानों को तोडऩे की अपेक्षा नगर निगम ने नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली। भवन स्वामियों ने भी नोटिस कचरे में डाल दिया।
बारिश को देखकर ऐसे मकानों को फिर से चिन्हित किया जाएगा। भवन स्वामियों को नोटिस दिए गए हैं। अधिकांश भवन खाली हैं।
-राकेश अयाची, उपायुक्त ननि