जबलपुर। शहर में स्वच्छता अभियान चल रहा है कचरे से बिजली बनाने के लिए अत्याधुनिक प्लांट लगाया गया है परंतु इसके बाद भी कचरा नहीं उठ रहा है। कागजों में ही स्वच्छता दिख रही है। कठौंदा स्थित हाईटेक प्लांट कचरे से बिजली बन रही है कचरा प्लांट को पर्याप्त कचरा भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसके चलते कचरे से पर्याप्त बिजली नहीं बन पा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार शहर में प्रतिदिन औसतन सात सौ से आठ सौ टन कचरा निकल रहा है। कचरा प्लांट को छह सौ टन कचरा रोजाना बिजली बनाने के लिए आपूर्ति की जानी है, लेकिन प्लांट चालू हो चुके करीब तीन साल होने के बाद भरपूर कचरा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। प्रतिदिन करीब 400 से 450 टन कचरा का ही उपयोग हो पा रहा है। इसकी वजह नगर निगम द्वारा पर्याप्त मात्रा में प्लांट को कचरा न मिल पाना है। इसके चलते कचरे से बनने वाली 11.5 मेगावाट का उत्पादन भी छह से सात मेगावाट तक होकर सिमिट गया है।
डोर टू डोर के बाद भी कचरा
नगर निगम द्वारा डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था की गई है। ताकि घरों से निकलने वाले कचरे को संग्रहित कर सीधे प्लांट तक भेजा जाए। लेकिन इस कार्य में भी लापरवाही सामने आ रही है। डोर टू डोर कलेक्शन नियमित हो नहीं रहा है। कई क्षेत्रों में दो से तीन दिन तक कचरा वाहन नहीं पहुंच पा रहे हैं। डोर टू डोर से करीब 300 टन कचरा निकल रहा है। कचरा उठाकर प्लांट तक पहुंचाने में भी समस्या हो रही है।
लापरवाही पर कार्रवाई नहीं
डोर टू डोर कलेक्शन में लापरवाही के मामले के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। हर मामले में अफसर नोटिस देने की बात कह रहे हैं। नतीजा शहरवासी गंदगी से जूझ रहे हैं। कचरा संग्रहण की व्यवस्था पूरी तरह से ठप है।
-डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए एजेंसी को निर्देश दिए हैं कि कहीं से भी कचरा उठाने में शिकायत नहीं आए। हम इसकी मॉनीटरिंग भी करा रहे हैं। कचरा के अन्य स्रोतों पर भी काम कर रहे हैं।
-जीएस चंदेल, स्वास्थ्य अधिकारी नगरनिगम
विशेषज्ञों के अनुसार शहर में प्रतिदिन औसतन सात सौ से आठ सौ टन कचरा निकल रहा है। कचरा प्लांट को छह सौ टन कचरा रोजाना बिजली बनाने के लिए आपूर्ति की जानी है, लेकिन प्लांट चालू हो चुके करीब तीन साल होने के बाद भरपूर कचरा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। प्रतिदिन करीब 400 से 450 टन कचरा का ही उपयोग हो पा रहा है। इसकी वजह नगर निगम द्वारा पर्याप्त मात्रा में प्लांट को कचरा न मिल पाना है। इसके चलते कचरे से बनने वाली 11.5 मेगावाट का उत्पादन भी छह से सात मेगावाट तक होकर सिमिट गया है।
डोर टू डोर के बाद भी कचरा
नगर निगम द्वारा डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था की गई है। ताकि घरों से निकलने वाले कचरे को संग्रहित कर सीधे प्लांट तक भेजा जाए। लेकिन इस कार्य में भी लापरवाही सामने आ रही है। डोर टू डोर कलेक्शन नियमित हो नहीं रहा है। कई क्षेत्रों में दो से तीन दिन तक कचरा वाहन नहीं पहुंच पा रहे हैं। डोर टू डोर से करीब 300 टन कचरा निकल रहा है। कचरा उठाकर प्लांट तक पहुंचाने में भी समस्या हो रही है।
लापरवाही पर कार्रवाई नहीं
डोर टू डोर कलेक्शन में लापरवाही के मामले के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। हर मामले में अफसर नोटिस देने की बात कह रहे हैं। नतीजा शहरवासी गंदगी से जूझ रहे हैं। कचरा संग्रहण की व्यवस्था पूरी तरह से ठप है।
-डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए एजेंसी को निर्देश दिए हैं कि कहीं से भी कचरा उठाने में शिकायत नहीं आए। हम इसकी मॉनीटरिंग भी करा रहे हैं। कचरा के अन्य स्रोतों पर भी काम कर रहे हैं।
-जीएस चंदेल, स्वास्थ्य अधिकारी नगरनिगम