ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार, लगन मुहूर्तों के इस अंतिम दौर में सात दिन तक लगातार शादियां होंगी। 10 जुलाई भड़ली नवमीं के अबूझ मुहूर्त पर ज्यादा वर-वधु सात फेरे लेंगे। इस दिन इतनी ज्यादा शादियां होंगी कि बारात घर, होटल, बैंड पार्टी और समाज घरों की बुकिंग पहले ही बुकिंग हो चुकी है। जबकि, इसके बाद चार माह का ब्रेक होगा। चातुर्मास में मांगलिक कार्य प्रतिबंधित रहेंगे।
जनवरी से मार्च तक ज्यादा मुहूर्त
नवम्बर में 9 और दिसम्बर में 6 तिथियों में वैवाहिक मुहूर्त हैं। 16 दिसम्बर को सूर्य धुन राशि में प्रवेश करेंगे तो खरमास शुरू हो जाएगा। उसके बाद एक माह मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा। फिर मकर संक्रांति 14 जनवरी के बाद शहनाई की धुन तेज होगी। 16 जनवरी से 12 मार्च तक 19 मुहूर्त रहेंगे। जनवरी में 11, फरवरी में सर्वाधिक 19 और मार्च में 9 मुहूर्त मिलेंगे। उसके बाद नव संवत्सर के पंचांग के अनुसार वैवाहिक मुहूर्त निर्धारित होंगे।
चातुर्मास में धार्मिक कार्य
चातुर्मास में संत जन एक स्थान पर रहकर साधना करते हैं। हालांकि चातुर्मास के धार्मिक अनुष्ठान का विशेष महत्व है। संतों के आश्रमों में धार्मिक कार्यक्रम किए जाएंगे। चातुर्मास के दौरान ही सावन में भगवान भोलेनाथ की साधना की जाएगी। कांवडि़ए अपने कांवड़ में नर्मदा जल भरकर शिवालयों में जाएंगे और जलाभिषेक करेंगे। संस्कारधानी में कांवड़ यात्रा निकालने के साथ शारदा मंदिर मदनमहल में आस्था और उत्साह के साथ प्रत्येक सोमवार को झंडा अर्पित किया जाता है।