ये है स्नान की सरल विधि
सामुद्रिक शास्त्र व लाल किताब के अनुसार स्नान की विधि से भी ग्रहों को प्रसन्न व अनुकूल किया जा सकता है। जिनकी कुंडली में शुक्र विपरीत होता है, उनके बनते कामों में भी रुकावटें आती हैं। इसके निदान के लिए सबसे सरल उपाय है कि जातक पानी में बड़ी इलायची का पानी मिलाकर स्नान करे। इसके लिए जरूरी है कि आप एक बड़ी इलायची को पानी में उबाल लें। इसके बाद इसके ठंडा होने पर इसके पानी को नहाने के पानी में मिला लें और शुक्र देवाय नम: कहते हुए उस जल से श्रद्धापूर्वक स्नान करें। इससे शुक्र ग्रह प्रसन्न होंगे और आश्चर्यजनक रूप से धन और वैभव का लाभ होगा।
घी और चावल का दान
शुक्र को प्रसन्न करने के लिए घी और चावल का दान भी उत्तम माना गया है। चूंकि शुक्र भोगविलास के कारक ग्रह है। इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है। श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है। यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। दान से पहले अपने बड़ों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है।
भगवती के मंत्र का जाप
“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में उक्त श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर प्रति शुक्रवार को करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी आती है। ध्यान रहे कि उक्त मंत्र का जाप करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता रहनी चाहिए। वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये भी इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है । वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है।
शुक्र का यन्त्र
शुक्र के अन्य उपायों में शुक्र यन्त्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है। शुक्र यन्त्र की पहली लाईन के तीन खानों में 11,6,13 ये संख्याएं लिखी जाती हैं। मध्य की लाईन में 12,10, 8 संख्या होनी चाहिए। तथा अन्त की लाईन में 07,14,9 संख्या लिखी जाती है। शुक्र यन्त्र में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी जानकार आचार्य की सलाह ली जा सकती है। यन्त्र को पूजा घर में स्थापित करने के बाद उसको नियमित रूप से स्नान कराना चाहिए। इससे आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त होती है।
रत्न धारण करना
ज्योतिषचार्य पं. जनार्दन शुक्ल के अनुसार शुक्र ग्रह का रत्न हीरा अथवा जरकिन, श्वेत पुखराज, सफेद मूंगा व चांदी माना जाता है। यह रत्न शुक्र ग्रह को बलवान बनाने के लिए धारण किये जाते हैं तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे सांसरिक सुख-सुविधा, ऐशवर्य, मानसिक प्रसन्नता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। किसी जानकारी ज्योतिषी से पूछकर हीरे के अतिरिक्त शुक्र को बल प्रदान करने के लिए सफेद पुखराज भी पहना जाता है। शुक्र के यह रत्न रंगहीन तथा साफ़ पानी या साफ़ कांच की तरह दिखते हैं। इन रत्नों को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यामा उंगली में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है। रत्न धारण करने से ग्रह बलवान हो जाता है परन्तु ये सुनिश्चित कर लें की आपकी कुंडली के हिसाब से रत्न धारण कर सकते हैं या नहीं। रत्न धारण करते समय किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।
… और ये भी सरल प्रयोग
शुक्रवार के दिन गूलर की जड़ को सफेद कपड़े में बांध कर व सफेद धागे में (यदि रेशम का हो तो अच्छा है) बांध कर गले या बांह में धारण करना चाहिए। ऐसा करने से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं। शुक्र ग्रह को प्रस्न करने के लिए काली चीटियों को शक्कर खिलाना, सफेद गाय को आटा खिलाना, भिक्षुक को चावल व मिष्ठान्न खिलाना, 10 वर्ष से कम आयु की कन्या को सफेद मीठा खिलाकर उसके चरण स्पर्श करना और इससे बढकऱ अपनी माता व पिता के नियमित रूप से चरण स्पर्श करने पर भी शुक्र देवता चमत्कारिक फल देते हैं। देखते ही देखते व्यक्ति की किस्मत बदल जाती है।