जबलपुर

धनुष तोप प्रकरण में घिरे जीसीएफ कर्मी की 19 दिन बाद मिली लाश, मौत बनी रहस्य

सीबीआइ जांच में घिरे जीसीएफ अधिकारी खटुआ की लाश बरामद, 19 दिन से थे लापता
-पाटबाबा पहाड़ी के पीछे खाई में मिली लाश, थोड़ी दूरी पर खड़ी मिली मोपेड
-धनुष तोप बेयरिंग खरीदी प्रकरण में संदेह के घेरे में थे जूनियर वक्र्स मैनेजर एससी खटुआ

जबलपुरFeb 06, 2019 / 01:31 am

santosh singh

जीसीएफ कर्मी की 19 दिन बाद मिली लाश, मौत बनी रहस्य

जबलपुर। धनुष तोप में मेड इन जर्मनी के नाम पर चीनी कल-पुर्जे की आपूर्ति मामले में सीबीआइ जांच के घेरे में आए जीसीएफ में जूनियर वक्र्स मैनेजर एससी खटुआ (45) की लाश मंगलवार को जीसीएफ न्यू कॉलोनी में एमइएस बोरिंग के पास पत्थरों की खाई में मिली। खटुआ 19 दिनों से लापता थे। लाश तीन से चार दिन पुरानी बतायी जा रही है। परिजन ने खटुआ की हत्या की आशंका व्यक्त करते हुए इसे बड़ी साजिश का हिस्सा बताया है।
17 जनवरी को निकले थे

टीआइ संजय सिंह ने बताया कि जीसीएफ क्वार्टर निवासी मौसमी खटुआ ने 17 जनवरी को पति एससी खटुआ की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करायी थी। खटुआ घर से सुबह सात बजे ड्यूटी जाने का कहकर मोपेड से निकले थे। शहर में लगे विभिन्न सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद आखिरी बार उन्हें जीसीएफ केवी-1 के पास सुबह 8.44 बजे, फिर दशमेशद्वार से अंदर प्रवेश करते और निकलते देखा गया था। एसपी ने तीन दिन पहले ही क्राइम ब्रांच को मामले की जांच सौंपी थी।
दोपहर ढाई बजे डायल-100 पर मोपेड की मिली सूचना

पुलिस की डायल-100 पर दोपहर ढाई बजे किसी ने सूचना देकर बताया कि न्यू कॉलोनी में एमइएस बोरिंग के पास लापता खटुआ की मोपेड खड़ी है। डायल-100 के कर्मचारी ने खटुआ की पत्नी मौसमी से मोपेड की पहचान कराई। मोपेड पर ही खटुआ की जैकेट डली थी। उसी दौरान पास ही खाई से आ रही दुर्गंध का पता लगाने खटुआ के छोटे भाई रंजन और सहकर्मी आलोक वहां गए तो उन्होंने वहां खटुआ की लाश को पाया।
ये है धनुष तोप प्रकरण-
जीसीएफ ने धनुष तोप के लिए दिल्ली की सिद्ध सेल्स को छह वायर रेस रॉलर बेयरिंग (डब्ल्यूआरआरबी) की आपूर्ति का ठेका 53.07 लाख रुपए में दिया था। सिद्ध सेल्स ने सीआरबी-मेड इन जर्मनी लिखकर चीनी बेयिरंग की सप्लाई कर दी, जबकि बेयरिंग को साइनो यूनाइटेड इंडस्ट्रीज (लूयांग) लिमिटेड, हेनान चीन ने बनाया था। इसी प्रकरण में सीबीआइ की जांच चल रही है। टेंडर खरीदी प्रक्रिया के हिस्सा रहे एससी खटुआ के घर पर 10 जनवरी को दिल्ली सीबीआइ ने दबिश भी दी थी।
बड़ा खुलासा करने वाले थे खटुआ, मौत के पीछे बड़ी साजिश

जीसीएफ में जूनियर वक्र्स मैनेजर एससी खटुआ की मौत कई सवाल छोड़ गई। जहां लाश मिली, उस जगह को खटुआ के परिजन और करीबी चार बार देख आए थे। तब न तो उनकी मोपेड दिखी और न खटुआ के बारे में कुछ पता लगा। उनका मोबाइल भी गायब है। खटुआ 17 जनवरी को दशमेश द्वार के पास कृपाल चौक की तरफ आखिरी बार किससे मिलने गए थे? खटुआ के छोटे भाई रंजन ने उक्त दावे कर इस मामले को उलझा दिया है कि उनके भाई की मौत बड़ी साजिश का हिस्सा है। उनका दावा है कि धनुष तोप की बेयरिंग से जुड़े प्रकरण में खटुआ बड़ा खुलासा करने वाले थे।
पीएम से जांच कराने की मांग

जीसीएफ में जेडब्ल्यूएम एवं खटुआ के करीबी आलोक पटेल ने बताया कि सीबीआइ की घर में दबिश देने के बाद से ही वे परेशान थे। खटुआ बेहद ईमानदार थे और सबसे अधिक वर्क करते थे। उन पर कभी कोई दाग नहीं लगा था। खुद खटुआ ने कई बार चर्चा में बताया था कि उन्हें कुछ बड़े लोग फंसाने में लगे हैं। जीसीएफ में ही फिटर हाई स्किल-2 में कार्यरत छोटे भाई रंजन ने घटनास्थल पर रोते हुए बताया कि उनके भाई लापता थे। फिर भी जीसीएफ के कुछ अधिकारियों का फोन आता था, जो उनके बारे में पूछताछ करते थे। दावा किया कि उनके भाई की मौत में फोन करने वाले अधिकारियों का ही हाथ है। धनुष तोप की बेयरिंग प्रकरण में घिरे कुछ अधिकारियों ने मौत की साजिश रची। रंजन ने प्रकरण में पीएम से जांच कराने की मांग की है।
बाहर खड़ी थी मोपेड, पुलिस ने कर दिया अंदर
डायल-100 दोपहर में घटनास्थल पर पहुंची, तो मोपेड एमइएस बोरिंग भवन के बाहर थी, जिसे पुलिस ने ही अंदर कर दिया गया। इसे लेकर भी वहां मौजूद जीसीएफ कर्मियों की ओर से सवाल उठाए जा रहे थे।
सिर के अलावा पूरा शरीर सलामत
एससी खटुआ के सिर के अलावा पूरा शरीर सही सलामत है। सिर्फ गर्दन कटी थी और बालों सहित सिर का पिछला हिस्सा गल गया था। आसपास खून के धब्बे भी पड़े मिले। सवाल उठता है कि यदि पुलिस दावे के अनुसार खटुआ की मौत प्वाइजन है, तो खून के धब्बे किसके हैं? यहां तक कि खाई में भी खून के धब्बे मिले हैं।
सीबीआइ ने बयान के लिए खटुआ को दिल्ली बुलाया था
सूत्रों की मानें तो खटुआ को सीबीआइ ने बयान के लिए दिल्ली भी बुलाया था। सीबीआइ से उन्हें निर्देश मिले थे कि बिना उनकी अनुमति के वे शहर छोडकऱ कहीं नहीं जाएंगे। 10 जनवरी को सीबीआइ टीम खटुआ के घर से उनका लैपटॉप और कार्यालय से कम्प्यूटर हार्ड ***** जब्त कर ले गई थी।
तो 15 दिन कहां थे खटुआ!
खटुआ की लाश तीन से चार दिन पुरानी प्रतीत हो रही है। जबकि, वे 17 जनवरी से गायब थे। रात में ही पत्नी ने शिकायत भी दर्ज करा दी थी। बावजूद पुलिस इस पहेली को समय रहते नहीं सुलझा पाई। सवाल उठा रहा है कि 15 दिन तक खटुआ कहां थे? यदि पुलिस का आत्महत्या सम्बंधी आशंका को सच भी मान लें तो 19 दिनों में शव सड़ जाता है।
मूलत: उड़ीसा के
एससी खटुआ और उनका परिवार मूलत: उड़ीसा का है। जीसीएफ में वे वर्ष 2004-05 से कार्यरत थे। वर्ष 2012 में छोटे भाई रंजन खटुआ भी जीसीएफ में लग गए। खटुआ के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी 12वीं में पढ़ती है। छोटी बेटी 10वीं में पढ़ती है।
वर्जन-

जीसीएफ कर्मी की पीठ में स्वैलिंग है। पेट फूला हुआ था। प्रथम दृष्टया प्रकरण सुसाइड का लग रहा है। पीएम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
अमित सिंह, एसपी जबलपुर

 

Home / Jabalpur / धनुष तोप प्रकरण में घिरे जीसीएफ कर्मी की 19 दिन बाद मिली लाश, मौत बनी रहस्य

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.