38 से 40 किमी तक निशाना साधने वाली धनुष तोप कई दौर के परीक्षण से गुजर चुकी है। बीते साल सेना को औपचारिक रूप से इसे सौंपने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन पोकरण में फायरिंग में दो बार मजल फटने की घटना से मामला ठंडा पड़ गया था। रक्षा मंत्रालय ने इसकी जांच कराई। कानुपर आयुध निर्माणी से आई बैरल और मजल को चेक किया गया। जांच की प्रक्रिया जीसीएफ में भी अपनाई गई। इसके बाद निर्माता जीसीएफ की ओर से सेना के ट्रायल से पहले ओडिशा के बालासोर रेंज में अपनी संतुष्टी के लिए 400 से ज्यादा राउंड फायर कर देखे गए। वह सफल भी रही।
कुल 114 और इस साल बनेंगी 12 तोप
जीसीएफ ने इस तोप को दूसरी आयुध निर्माणी और 506 आर्मी बेस वर्कशॉप के साथ मिलकर तैयार किया है। दरअसल यह स्वीडन की बोफोर्स तोप का अपग्रेड वर्जन है, लेकिन इसकी खासियत है कि इसमें 80 फीसदी से ज्यादा कलपुर्जे स्वदेशी हैं। जीसीएफ को सेना के लिए 114 धनुष तोप बनाकर देनी है। अभी तक प्रोटोटाइप के रूप में लगभग 12 तोप तैयार की जा चुकी हैं। वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए आयुध निर्माधी बोर्ड से 12 तोप के उत्पादन का इंडेंट मिल चुका है। इसकी प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
क्या होगा परीक्षण में
राजस्थान की उच्च जलवायु वाले क्षेत्र पोकरण में छह तोप से कई राउंड की फायरिंग की जाएगी। फायरिंग अगले सप्ताह शुरू हो सकती है। इसमें देखा जाएगा कि फायरिंग के दौरान किसी कलपुर्जे में कोई परेशानी तो नहीं आ रही। सूत्रों ने बताया, जिन संभावित वजहों से मजल फटा था, उस पर भी जीसीएफ और सेना के अधिकारी ध्यान रखेंगे। फायरिंग े लिए जीसीएफ में पहले से सेना की एक यूनिट तैनात रही। उसके द्वारा पूरी प्रक्रिया को समझा गया। कुछ विशेषज्ञ कर्मचारी भी वहां भेजे जा रहे हैं।
उम्मीद है सफल होगा परीक्षण
पोकरण में धनुष तोप का यूजर ट्रायल किया जाना है। इसके लिए छह तोप भेजी जा रही हैं। तोप में किसी तरह की कमियां नहीं रह जाएं, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। उम्मीद है ओडिशा की तरह यह फायरिंग भी सफल होगी।
संजय श्रीवास्तव, जनसंपर्क अधिकारी, जीसीएफ