तर्क दिया गया कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की अहमियत सामने आ चुकी है। पेड़ ऑक्सीजन के स्रोत होते हैं। उनको हीरे से अधिक कीमती समझा जाना चाहिए। भौतिक संपदा से नैसर्गिक प्राकृतिक संपदा अधिक कीमती है। सागौन, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अरजुन सहित अन्य औषधीय महत्व के पेड़ों को बचाया जाना आवश्यक है। आग्रह किया गया कि उत्खनन के लिए पेडों की कटाई की इजाजत निरस्त करने के निर्देश दिए जाएं। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किए।