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बक्सवाहा में हीरा खनन पर हाईकोर्ट ने पूछा पेड़ों की कटाई की अनुमति कैसे दी?

locationजबलपुरPublished: Jun 18, 2021 03:08:15 pm

Submitted by:

Lalit kostha

जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस
 

Buxwaha

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जबलपुर/ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार, आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी व अन्य से पूछा कि बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति कैसे दी गई? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी किए। जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया।
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप कुमार सैनी ने कोर्ट को बताया कि राज्य के छतरपुर इलाके में बक्सवाहा जंगल के बीच दबे करीब 50 हजार करोड़ के हीरे हासिल करने के लिए ढाई लाख से अधिक हरे-भरे पेड़ों का कत्लेआम करने की तैयारी कर ली गई है। हीरा हासिल करने की सनक में रिपोर्ट तक बदली जा रही है। पहले के सर्वे में इस जंगल में जो जंगली प्राणी पाए जाते थे, वे अब नदारद बताए जा रहे हैं। इसे लेकर आंदोलन भी शुरू हो गया है। वन अधिकार कार्यकर्ता इस क्षेत्र में रहने वाले वन्य प्राणियों व आम जनता के हित को देखते हुए पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया के जरिये अभियान भी छेड़ दिया गया है।

तर्क दिया गया कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की अहमियत सामने आ चुकी है। पेड़ ऑक्सीजन के स्रोत होते हैं। उनको हीरे से अधिक कीमती समझा जाना चाहिए। भौतिक संपदा से नैसर्गिक प्राकृतिक संपदा अधिक कीमती है। सागौन, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अरजुन सहित अन्य औषधीय महत्व के पेड़ों को बचाया जाना आवश्यक है। आग्रह किया गया कि उत्खनन के लिए पेडों की कटाई की इजाजत निरस्त करने के निर्देश दिए जाएं। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किए।

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