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यहां तो कोविड जांच कराना ही मुश्किल, रिपोर्ट में लग रहे चार दिन

locationजबलपुरPublished: Apr 10, 2021 08:01:41 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर शहर में संक्रमण बेकाबू, कोरोना के मरीज बढऩे के साथ लडखड़़ाने लगी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं
 

corona cases

कोरोना मरीजों की संख्या में आंशिक गिरावट के संकेत।

 

जबलपुर। कोरोना की दूसरी लहर अब जबलपुर शहर में कहर बनकर टूट रही है। नए संक्रमित तेजी से बढऩे के साथ ही स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लडखड़़ाने लगी हैं। कोरोना मरीजों की जांच और उपचार के लगातार बढ़ते भार के बीच अब कोविड टेस्ट कराना तक मुश्किल हो गया है। जैसे-तैसे नमूने देने पर भी उसकी रिपोर्ट बमुश्किल 3-4 दिन बाद मिल पा रही है। कोरोना के गम्भीर मरीजों के लिए जीवनरक्षक मानकर लगाए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी बनी हुई है। संक्रमित के परिजन इंजेक्शन खरीदने के लिए भटक रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़ के साथ अब जांच और देखभाल के लिए डॉक्टर, नर्सिंग और अन्य स्टाफ की कमी होने लगी है। कोरोना से लड़ रही टीम के सदस्य भी धीरे-धीरे संक्रमण की जकड़ में आ रहे हैं। इससे व्यवस्थाएं प्रभावित होने का खतरा बन रहा है।

बताया जा रहा है कि कोरोना जांच करने वाली सरकारी लैब के कुछ टेक्नीशियन पॉजिटिव हो गए हैं। इससे कोरोना संदिग्धों के नमूने की जांच समय लग रहा है। सरकार के साथ अनुबंधित निजी लैब में भी जांच के लिए नमूने की संख्या क्षमता से ज्यादा हो गई है। इसके कारण फीवर क्लीनिक में औसतन पचास नमूने ले रहे हैं। दोपहर बाद आने वालों को किट समाप्त होने की बात कहकर लौटाया जा रहा है। निजी लैब का कोटा भी दोपहर से पहले पूरा हो जा रहा है। बाद में आने वाले संदिग्धों को नमूना देने दूसरे दिन बुलाया जा रहा है। इससे जांच कराने वालों की प्रतीक्षा और कतार बढ़ती जा रही है।
कोरोना मरीज बढऩे के साथ शहर के लगभग सभी प्रमुख अस्पतालों के कोविड आइसोलेशन वार्ड फुल हो गए हैं। कुछ जगह अतिरिक्त कोविड बेड भी तैयार किए गए हैं। लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में डॉक्टर और अन्य सहयोगी कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए नर्सेस, वार्ड ब्वाय एवं सफाई कर्मियों की संख्या अब कम पड़ रही है। निजी अस्पतालों में भी डॉक्टर क्षमता से ज्यादा कोरोना मरीज देख रहे हैं। इससे उपचार से लेकर देखभाल में समस्या होने लगी है।
वीआइपी कल्चर से पड़ रहा भारी
कोरोना से बिगड़ते हालात के बीच वीआइपी कल्चर व्यवस्थाओं पर और भारी पड़ रहा है। स्टाफ की कमी के बीच स्वास्थ्य विभाग की बड़ी टीम प्रभावशाली कोरोना संदिग्ध और संक्रमित के नमूने घर-घर जाकर बटोरने में फंसी हुई है। इनके नमूने की जांच और रिपोर्ट को भी प्राथमिकता का दबाव बढ़ता जा रहा है। वीआइपी संक्रमितों की आइसोलेशन के लिए इच्छानुसार अलग व्यवस्था सुनिश्चित करने की चुनौती भी बाकी मरीजों की व्यवस्थाओं को प्रभावित कर रही है। अस्पतालों में कोरोना मरीजों से बिस्तर भरने के साथ ही ऑक्सीजन की खपत और मांग बढ़ गई है। कोरोना के गम्भीर मरीजों को हाईफ्लो ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है। मेडिकल कॉलेज में दो बड़े ऑक्सीजन टैंक बनने के बाद जम्बो सिलेंडरों की भी आवश्यकता पड़ रही है। होम आइसोलेशन में भी मरीजों ने आकस्मिक उपयोग के लिए सिलेंडर रख रखें हैं। निजी अस्पतालों ने भी सिलेंडर स्टॉक करना शुरू कर दिया है। यदि मरीज ऐसे ही बढ़ते रहे तो आने वाले समय में ऑक्सीजन के सिलेंडर की किल्लत फिर बन सकती है।

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