अभी है यह व्यवस्था
अभी कारोबारी को हर महीने जीएसटी से जुड़ा रिटर्न जमा करना पड़ता है। देरी पर अधिभार का प्रावधान है। ज्यादातर कारोबारी इस काम को खुद नहीं बल्कि कर सलाहकार एवं सीए से करवाते हैं। उन्हें इसके लिए अलग से व्यय भी करना पड़ रहा है।
अब क्या होंगे फायदे
रजिस्टे्रशन नहीं होने से उन्हें हर महीने रिटर्न की प्रक्रिया से मुक्ति मिल सकेगी। अभी यदि किसी कारोबारी का सालाना टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा है तो सारी प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती है। इसी तरह कम्पोजीशन स्कीम में भी अब तीन महीने की जगह साल में एक बार रिटर्न दाखिल करना पडेग़ा। लेकिन हर तीन माह में टैक्स जमा करना जारी रहेगा।
जिले में जीएसटी के प्रमुख स्त्रोत
कपड़ा, खनिज, रियल इस्टेट, आभूषण, रक्षा उत्पाद, किराना कारोबार, निर्माण, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, उद्योग, फर्नीचर आदि।
फायदा और घाटा दोनों
जबलपुर टैक्स बार एसोसिएशन के महासचिव शिशिर नेमा का कहना है कि जीएसटी काउंसिल के निर्णय से फायदा और घाटा दोनों है। छोटे कारोबारियो को लाभ मिलेगा लेकिन देखा यह गया है कि जिनमे पास जीएसटी रजिस्टे्रशन नहीं होता है तो उनसे बड़ी कंपनियां सौदा करने में कतराती हैं। इसलिए जरूरी नहीं है कि सभी कारोबारी अपना रजिस्ट्रेशन निरस्त कराएं। कर सलाहकार परेश वर्मा का कहना है कि मार्च के बाद नए नियम का फायदा मिलेगा। लेकिन इससे व्यापार में कठिनाइयां बढ़ सकती हैं। यही नहीं रजिस्टे्रशन के कई तरह के फायदे होते हैं एेसे में सभी इसे अनदेखा नहीं करेंगे। जबलपुर चेम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हिमांशु खरे का कहना था यह निर्णय छोटे कारोबारियों के लिए फायदेमंद होगा। उनके लिए टैक्स संबंधी संसाधन जुटाना कठिन होता था। जीएसटी आयुक्तालय के ज्वाइंट कमिश्नर नीरज चौबे के अनुसार जीएसटी कौंसिल ने जीएसटी में रजिस्टे्रशन में छूट का दायरा बढ़ाया है। इस संबंध में नोटिफिकेशन आने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।