जबलपुर में जोर नहीं पकड़ पा रही वोट की चर्चा
जबलपुर•Apr 09, 2019 / 07:36 pm•
shyam bihari
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जबलपुर। लगभग एक सप्ताह से 40 के ऊपर का तापमान। गर्म हवा से निकलती धधक। सूनी सड़कें। छांव तलाशते राहगीर। हमेशा गुलजार रहने वाली सड़कों पर सन्नाटा। देश के कई हिस्सों की तरह यह हाल जबलपुर का भी है। दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने अपने नाम के पर्चे भर दिए हैं। नामांकन का आखिरी दिन भी निकल गया है। लेकिन, अभी भी शहर और जिले के किसी भी हिस्से में चुनावी फिजां की रंगत नजर नहीं आ रही है। लग रहा है राजनीतिक हलचल प्रकृति की गर्मी सह नहीं पा रही है। चुनावी चर्चाएं अभी कोल्ड स्टोर में हैं। वहां से कब निकलेंगी, इसका रुझान लगा पाना आसान नहीं है। स्थानीय नेता इंतजार में हैं कि बड़े नेता चुनावी सभा करें। बड़े नेताओं का कार्यक्रम अभी तय नहीं हुआ है। ऐसे में प्रत्याशियों के सामने धर्मसंकट की स्थिति है। वे अपने आस-पास के नेताओं पर भी जोर नहीं डाल पा रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि आखिर कैसे इस तरह की गर्मी में गली-गली की खाक छानी जाए। धूप ढलने के बाद दुकानदार कारोबार पर ध्यान देता है। आम लोग जरूरी काम निपटाते हैं। नौकरीपेशा को लगता है कि दिन तो पसीने में गुजरा है। शाम और रात को ढंग से बिता लें। ऐसे में लोकतंत्र की सबसे मजबूत प्रक्रिया को झटका लग रहा है।
नामांकन में दिखी भीड़
दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों राकेश सिंह और विवेक तन्खा ने अपने नामांकन के दौरान जरूर भीड़ जुटा ली। दोनों दलों ने इसे शक्तिप्रदर्शन के रूप में लिया। कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने इसे अपनी और पार्टी की प्रतिष्ठा से जोड़ लिया। सबने खूब मेहनत की। इसलिए अच्छी भीड़ दोनों नेताओं के साथ नजर आई। इससे अब यह भी लग रहा है कि शायद गर्मी-धूप भूलकर नेताजी बाहर निकलेंगे। साथ में कार्यकर्ता भी पसीना बहाएंगे। इससे माहौल चुनावी हो सकता है। इसके अलावा बड़े नेता की सभा का भी इंतजार कार्यकर्ता कर रहे हैं। उसके बाद से वे भीड़ जुटाने में शायद सफल होंगे।
एकजुटता भी दिखी
भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने नामांकन के मौके पर यह भी दिखाया कि वे दलगत रूप से एक हैं। दोनों दलों के नेताओं में लम्बे समय से नजर आ रही खटास नामांकन के दिन नहीं दिखी। इससे दोनों दलों के नेताओं ने राहत ली।