हाईकोर्ट का पुणे के व्यवसायी को निर्देश, बच्चे की पढ़ाई का खर्च भी उठाने को कहा
यह है मामला
जबलपुर की नयागांव निवासी महिला ने यह अपील जबलपुर कुटुम्ब न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की। एक फरवरी 2019 को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (1) की उपधाराओं के तहत तलाक के लिए पेश उसकी अर्जी कुटुम्ब न्यायालय ने इस फैसले के जरिए खारिज कर दी थी। अपील में कहा गया कि अपीलकर्ता का पति उससे क्रूरता बरतता है। पति के कई महिलाओं से अवैध सम्बंध हैं। इसके बावजूद कुटुम्ब न्यायालय ने गलत तरीके से आरोपों को निराधार करार देकर उसकी अर्जी खारिज कर दी।
दोनों पर लगाईं शर्तें
सितम्बर 2011 में अपीलकर्ता अपने पति की प्रताडऩा व रवैये के चलते पुणे स्थित ससुराल से अपने मायके जबलपुर वापस आ गई। अक्टूबर 2013 से वह पति से अलग रह रही है। पुणे के रामनगर क ॉलोनी निवासी व्यवसायी दीपक द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता एसके तिवारी व एसएम गुरु ने कोर्ट को बताया कि अब दोनों का एक साथ रहना असम्भव है। अपीलकर्ता के अधिवक्ता प्रणय वर्मा ने भी इससे सहमति जताई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपीलकर्ता के पक्ष में सशर्त तलाक की डिक्री पारित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने शर्त रखी कि अपीलकर्ता व उसके बच्चे के पालन पोषण के लिए दीपक द्विवेदी स्थायी निर्वाह (परमानेंट एलीमनी) स्वरूप एक करोड़ रुपए तीन माह के अंदर दे। पहली किश्त 50 लाख रुपए 25 अक्टूबर, दूसरी 25 लाख 25 नवम्बर व अंतिम किश्त 25 लाख रुपए की 25 दिसम्बर तक अदा कर दी जाए। कोर्ट ने बच्चे की शिक्षा का खर्च भी अनावेदक दीपक द्विवेदी को उठाने का निर्देश दिया। अपीलकर्ता को निर्देश दिए गए कि वह पुणे स्थित भवन को पति के नाम ट्रांसफर करने के लिए अनापत्ति दे दे।