दिवाली हिंदुओं और सनातन धर्म को मानने वालों का प्रमुख त्यौहार है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम रावण वध के बाद 14 वर्ष के बनवास खत्म कर अयोध्या वापस आए थे। जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत वंदन किया था। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी भगवान गणेश के पूजन का विधान है।
ज्योतिषाचार्य सचिन देव महाराज के अनुसार दिवाली 19 अक्टूबर को अमावस्या तिथि के अवसर पर मनाई जाएगी। स्कंद पुराण में कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर सभी देवी देवताओं की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। ऐसा करने से तन मन धन सभी चीजों की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि व मुहूर्त –
इस बार महालक्ष्मी पूजा का मुहूर्त सुबह सात बजकर ग्यारह सुबह 7:00 से रात 8:30 बजे तक है। महानिशा काल पूजा मुहूर्त रात्रिकालीन 11:40 से 12:35 तक है।
ऐसे करें माता लक्ष्मी का पूजन
दिवाली के दिन शाम के समय घर के पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को रखें। फिर पूजा चौकी पर स्वस्तिक बनाकर और चावल रखकर स्थापित करना चाहिए। मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखें। इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए।