scriptdiwali 2017 Significance of the Diwali सोने और हीरे जवाहरात की बारिश करती थी ये देवी, आज भी बरसती है कृपा, जानें ये रहस्य | diwali 2017 Significance of the Diwali Date Puja and Prasad | Patrika News

diwali 2017 Significance of the Diwali सोने और हीरे जवाहरात की बारिश करती थी ये देवी, आज भी बरसती है कृपा, जानें ये रहस्य

locationजबलपुरPublished: Oct 06, 2017 02:07:05 pm

Submitted by:

Lalit kostha

आइए जानते हैं माला देवी से जुड़ा एक ऐसा ही रहस्य

diwali 2017,diwali Significance,Diwali Date,Diwali Puja,Diwali Prasad,Prasad

diwali 2017,diwali Significance,Diwali Date,Diwali Puja,Diwali Prasad,Prasad

जबलपुर। दीपावली यानी सुख समृद्धि धन धान्य से परिपूर्ण होने कावर मांगने का दिन विष्णु प्रिया महालक्ष्मी या लक्ष्मी देवी का इस दिन विशेष पूजन होता है। दीपावली पर हम जबलपुर से जुड़ी एक ऐसी ही एक रोचक और रहस्यमई प्रतिमा के बारे में बताने जा रहे हैं। जो लक्ष्मीजी की मानी जाती है और ऐसी मान्यता है कि यह गोंड काल में राजाओं पर धन की वर्षा कर देती थी। आज लोग इन्हें माला देवी के नाम से जानते हैं। माला देवी गोंड साम्राज्य की कुलदेवी रही है। इनका पूजन गोंड राजाओं का कार्य माना जाता रहा है। माला देवी का मंदिर आज भी उसी भव्यता के साथ गढ़ा गोंडवाना में स्थित है। वीरांगना गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती का इतिहास भी वीरता से समृद्ध है। उन्हीं के शासनकाल में प्रजा अत्यंत प्रसन्न और धन-धान्य से परिपूर्ण हुआ करती थी। आइए जानते हैं माला देवी से जुड़ा एक ऐसा ही रहस्य।

गढ़ मंडला की वीरांगना गोंडवाना साम्राज्ञी रानी दुर्गावती का इतिहास भी शौर्य और वीरता से समृद्ध है। उनके शासनकाल में प्रजा अत्यंत प्रसन्न और धन-धान्य से संपन्न थी। इसका कारण उनकी कुलदेवी को माना जाता है। जो कि लक्ष्मी का अवतार थीं। जिनकी प्रतिमा अब भी मौजूद है, लेकिन मूर्ति से जुड़े रहस्यों को अब तक नही सुलझाया जा सका है। फिलहाल मूर्ति जहां स्थित है। वहां कैसे पहुंची ये भी अब तक कोई नही बता पाया।

मालादेवी को रानी दुर्गावती अपनी कुलदेवी मानतीं थीं और यही वजह थी कि वे यहां रोज पूजा करने आतीं थीं। मालादेवी को लक्ष्मी का अवतार माना गया है, जो सुख, समृद्धि और धन प्रदान करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार चंदेल राजकुमारी दुर्गावती इस सत्य को जानतीं थीं। इसी वजह से वे यहां नियमित पूजा करने आतीं थीं। गढ़ा पुरवा में स्थित बस स्टैंड के पीछे ब्राम्हण मोहल्ले में ये प्रतिमा स्थित है। इस ओर पुरातत्व विभाग की नीरसता यहां पहुंचने पर स्पष्ट ही झलकती है।

मूर्ति का रहस्य
दरसअसल, इसका निर्माण कल्चुरिकाल में किया गया था, लेकिन ये गौंड़ शासकों की कुलदेवी मानी जातीं थीं। इस संबंध में कई तरह की खोज अब भी की जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कल्चुरि वंश जो वास्तव में हैहय क्षत्रिय वंश कहलाते थे, इनकी राजधानी त्रिपुरी थी, जबकि गोंड शासकों की गढ़ा गोंडवाना। कल्चुरि वंश के पतन के बाद गौंड़ वंश आया, फिर मूर्ति यहां कैसे पहुंची इस संबंध में भी रिसर्च की जा रही है।

अतिप्रतिष्ठित व पूजनीय
बताया जाता है कि पुरातत्व विभाग जब इस संबंध में खोज कर रहा था, तब उन्होंने मालादेवी को लक्ष्मी का स्वरूप बताया। गोंडकाल की अतिप्रतिष्ठित व पूजनीय ये मूर्ति कल्चुरि शिल्प के अंकन को दर्शाती है। जो खोजकर्ताओं के लिए आश्चर्य का विषय रहा है।

जानकारी जुटाने का प्रयास
इतिहासकार आनंद सिंह राणा बताते हैं कि मूर्ति का रहस्य खोजने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ये अब तक की सबसे रोचक और अद्भुत प्रतिमा है। इस संबंध में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो