चरणों में सूर्य की पहली किरण मंदिर के पुजारी कपिल कृष्ण ने बताया, मंदिर का निर्माण करीब 11 सौ साल पूर्व कराया गया था। इसके अंदरूनी भाग में श्रीयंत्र की अनूठी संरचना है। खास बात यह है कि आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है। पुजारी का कहना है, हर दिन प्रतिमा का रंग अपने आप तीन बार बदलता है। प्रात: काल में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।
पैर रखते ही सुकून अधारताल निवासी ऋषि मिश्रा व डीपी शर्मा का कहना है, मंदिर की सीमा में प्रवेश करते ही असीम शांति का अनुभव होता है। स्थानीय योगेन्द्र तिवारी व महेश पटेल के अनुसार मंदिर में हर शुक्रवार विशेष भीड़ रहती है। दिवाली को तो मां के दर्शन के लिए तांता लगा रहता है। कहा जाता है कि सात शुकवार मॉ लक्ष्मी के यहॉ पर आकर दर्शन कर लिये जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
खुले रहते हैं पट पचमठा मंदिर में इस समय दीपावली के विशेष पूजन की तैयारी चल रही है। आचार्यों ने बताया कि दिवाली पर मां लक्ष्मी का खास पूजन होता है। मां लक्ष्मी का विशेष अभिषेक किया जाता है। दिवाली पर मंदिर के पट पूरी रात खुले रहते हैं। दूर-दराज से लोग यहां दीपक रखने के लिए आते हैं। मध्यरात्रि तक पूरा मंदिर दीपकों की आभा से दमक उठता है। इसका आभास ही अद्भुत है।