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Diwali festival 2018: दीपमालाओं से जगमग हुआ शहर, द्वार-द्वार चमकी दीवाली

locationजबलपुरPublished: Nov 07, 2018 06:19:51 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

हर घर में रोशन हुए खुशियों के दीप

Diwali festival latest news in Jabalpur

हर घर में रोशन हुए खुशियों के दीप

जबलपुर। अमावस के घने अंधकार पर नन्हे दीपक की लौ की जीत के माध्यम से असत्य पर सत्य विजय का संदेश देता दीपावली महापर्व हर तरफ धूमधाम से मनाया गया। हर घर आंगन, सजा, संवरा और हर चेहरे खिले नजर आए। शाम को घर-घर में माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, कुबेर आदि देवताओं का आहान और पूजन हुआ। आरती वंदन के स्वर गूंजे। रात में तो जैसा पूरा शहर ही आतिशबाजी से रोशन हो गया। लोगों ने पटाखे चलाकर और आतिशबाजी करके सत्य की जीत का जश्न मनाया और माता लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की कामना की। पांच दिवसीय पर्व माला के अंतर्गत मिठाइयों के वितरण के साथ 8 नवंबर यानी गुरुवार को अन्नकूट का पूजन और दूसरे दिन गोवर्धन का पूजन होगा।

दुल्हन सी सजी गलियां
दीवाली को लेकर एक तरफ जहां बाजार गुलजार रहे वहीं हर गलीर और घर दुल्हन की तरह सजा नजर आया। तन पर नए कपड़ों और रांगोली से सजे आंगनों में किलकारियां सुबह से ही गूंजने लगीं। पकवानों की भीनी खुशबू बच्चों के मन को लुभाती रही। तैयारियों के दौर के बाद शाम का वक्त आया तो टोलियां तैयार हो गईं। सभी ने भगवान गणेश, माता महालक्ष्मी, कुबेर का पूजन किया और फिर आरती के स्वरों के बीच दीपों का दान किया गया। रंग-बिरंगी सजावट के बीच घर दीपमालाओं से जगमग हो उठे। इसके बाद जाकर बच्चों का चिर-परिचित इंतजार खत्म और आतिशबाजी व पटाखों की गडगड़़ाहट की शुरुआत हुई जो देर रात तक चली रही। पर्यावरण की की दृष्टि पर पर्व पर इस बार अधिकांश लोगों ने पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले धीमी आवाज के बमों व सुरक्षित आतिशबाजी का उपयोग किया।

कई जगह हुए विशेष अनुष्ठान
कार्तिक अमावस्या पर दीवाली की रात श्रद्धालुओं द्वारा कई जगह सुख, समृद्धि व धन की प्राप्ति समेत अन्य मनोकामना पूर्ति के लिए अनुष्ठान भी आयोजित किए गए। माता महालक्ष्मी के पूजन वंदन के साथ अनेक आचार्यों ने अमावस के संयोग पर मंत्र जाप व वैदिक अनुष्ठान किए। विष्णु सहस्त्र नाम, श्री सूक्त आदि का पाठ किया। पं. जनार्दन शुक्ला के अनुसार श्रीसूक्त, विष्णु सहस्त्रनाम, लक्ष्मी सूक्त, गोपाल सहत्रनाम का पाठ त्वरित फलदायी होता है। इस अवसर पर कमल के फू ल, कमल गटा, सोलह कमल फू ल चढ़ाने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि श्रीसूक्त का पाठ करने के साथ मां को कमल का पुष्प अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। देर रात लक्ष्मी का महानिशा पूजन भी किया गया। इस विशेष पूजन में श्रद्धालु श्रद्धालुओं ने रात्रि जागरण किया। भजन व भक्ति गीत गए। सूर्योदय पर इसका समापन किया।

श्री यंत्र का पूजन
दीपावली पर्व पर कई लोगों ने यथाशक्ति श्रीयंत्र का भी पूजन किया। आचार्य पं. रामसंकोची गौतम के अनुसार दीवाली पर लक्ष्मी पूजा में श्रीयंत्र रखने का भी विधान है। श्रीयंत्र को महामेरु श्रीयंत्र भी कहा जाता है। श्रीयंत्र महालक्ष्मी का साक्षात स्वरूप है। इसकी स्थापना और पूजा से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मान्यता है कि जब सृष्टी में कुछ भी नहीं था, तब मां श्री विद्या के विचार से एक मेरु उत्पन्न हुआ। वही मेरु श्रीयंत्र कहलाया। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सभी देवियों का वास है। इसकी पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है।

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