दोबारा दिख रहा ट्रेंड
सालों पहले मांडला और वारली आर्ट की कला घरों की चौखटों पर नजर आती थी। यह नजारा खासतौर पर गांवों और कस्बों में अधिक नजर आता था, लेकिन मॉर्डन और टे्रडिशनल टच के चलते लोग इस तरह की देसी कला को घर में उकेरने का काम कर रहे हैं।
मार्केट मे ढ़ेरों वैरायटीज
शहर के मार्केट में दिवाली के लिए कई तरह की वैरायटीज देखने को मिल रही है। इसमें चाइनीज झालर की बजाय लोग ऊन से बनी हुई झालर और तोरण खरीदना पसंद कर रहे हैं। नीलम अग्रवाल का कहना है कि इस दिवाली डेकोरेशन के लिए पूरी देसी चीजों का चुनाव किया है। पेंटिंग हो या फिर सीनरी। इन्हें प्रोफेशनल पेंटर्स से तैयार करवाया है। इसके साथ ही ऊन से बनकर तैयार हुए तोरण और झालरों में लाइट फिटिंग करके रूम से डिफरेंट लुक दिया जा रहा है।
शहर के बाजारों में सिर्फ जबलपुर और मध्यप्रदेश में नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से सजावटी सामान शहर में आ चुका है। आंधप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल, महाराष्ट्र, कोलकाता, असम, मद्रास, दिल्ली, उत्तरप्रदेश आदि जगहों से सजावटी समान आ रहा है। इनकी खासियत यह है कि यह वहां की कला को अपने में समेटे हुए हैं।
ये हैं खास
– कंदिल
– तोरण
– झालर
– द्वार लटकन
– पेंटिंग्स
– स्केच